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Wednesday, May 25, 2022

संस्थानों में हो रहे शोध को इच्छुक उद्यमियों तक पहुंचाने में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका - हरेश प्रताप

प्रयागराज| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रयागराज विभाग के प्रचार विभाग द्वारा विश्व संवाद केंद्र काशी के आयोजकत्व में आदि पत्रकार देवर्षि नारद जयंती एवं पत्रकार सम्मान समारोह का आयोजन ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज सिविल लाइंस प्रयागराज के सभागार में किया गया। 'आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में पत्रकारिता की भूमिका' विषयक संगोष्ठी के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता हरेश प्रताप सिंह (सदस्य, लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश) ने कहा कि नौकरी के बजाय उद्यमिता को ज्यादा महत्व मिले तो हम मैनुफैक्चरिंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सकते हैं। हमारे विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों में बहुत शोध हो रहे हैं। इनके परिणामों की सूचनाओं को इच्छुक उद्यमियों तक पहुंचाने में पत्रकार अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि देवर्षि नारद आद्य पत्रकार थे। वे देवराज इंद्र के मंत्रिमंडल में सूचना प्रसारण मंत्रालय संभालते थे। उनकी जयंती पर हम भारत की आत्मनिर्भरता में पत्रकारों की भूमिका की चर्चा कर रहे हैं। सूचनाओं के प्रसारण में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। अब नौकरी के बजाय उद्यमिता को ज्यादा महत्व मिले तो हम मैनुफैक्चरिंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सकते हैं। हमारे विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों में बहुत शोध हो रहे हैं। इनके परिणामों की सूचनाओं को इच्छुक उद्यमियों तक पहुंचाने का गुरुतर भार पत्रकारों पर है। कृषि क्षेत्र में हुए शोध किसानों तक पहुंचा कर कृषि उपजों के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने में पत्रकारों का अमूल्य योगदान है। हमारे वैज्ञानिकों ने गीर, थारपारकर एवं साहीवाल नस्ल के साड़ों का ऐसा वीर्य तैयार किया है जिससे बछिया ही पैदा होगी, बछड़े पैदा ही नहीं होंगे। इससे छुट्टा जानवरों की समस्या भी कम होगी और देशी गायों के नस्ल सुधार से दुग्ध उत्पादन भी बढ़ेगा। ऐसी खबरें किसानों/ पशुपालकों तक पहुंचा कर हम देश की आत्मनिर्भरता में योगदान कर सकते हैं।

गोष्ठी के अध्यक्षता करते हुए वीरेंद्र पाठक (वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रमुख एएनआई, प्रयागराज) ने कहा, "पत्रकारिता का आधार शिक्षा, सूचना, संचार और उद्देश्य है| लोकमंगल यानी जन सरोकार। एक पत्रकार में विषय का ज्ञान, उपयुक्त एवं शिष्ट भाषा एवं सत्य के अभिव्यक्ति की कला का होना आवश्यक है। लेकिन सत्य जो अमंगल करे उसे छिपाना ही उचित है। आत्मनिर्भरता के विषय में कहना है कि यदि भारतीय संस्कृति के अनुसार चलें तो आत्मनिर्भरता हमें स्वतः प्राप्त होगी। हमारा परंपराओं एवं उत्सवधर्मिता का देश है जो स्वयं मांग और उत्पादन दोनों पैदा करता है। इसीलिए हम कभी मंदी के शिकार नहीं होते। लेकिन अनैतिक व्यापार हमें अतिशय मंहगाई में ढकेल सकता है| अतः इसे रोकने में भी पत्रकारों की महती लेकिन संकट पूर्ण भूमिका है।

विभाग प्रचारक डॉ पीयूष जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि समाज में सोशल मीडिया का भी प्रभाव बढ़ा है और इसके माध्यम से समाज में सकारात्मक संदेश पहुंच रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में इस सशक्त माध्यम का प्रयोग किया जाना चाहिए।


संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ मुरार जी ने नारद जी के जीवन चरित तथा उनकी लोकमंगल पत्रकारिता की चर्चा की तथा आज के समय में देश-विदेश में हो रहे विभिन्न शोधों तथा सरकार के प्रोत्साहन योजना की सूचनाएं नव उद्यमियों तक पहुंचाने की भूमिका निभाने का आग्रह पत्रकारों से किया जो निश्चित तौर पर आत्मनिर्भर भारत के लिए सहायक होंगे। उन्होंने स्वदेशी तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं सेवा के अधिकाधिक अवसर सृजित कर आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सभी से सहयोग करने का आह्वान किया।

इस अवसर पर पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले पत्रकारगण मंगेश, ज्योतिराव फुले एवं पवन उपाध्याय को अंगवस्त्र, सम्मान पत्र, प्रतीक चिन्ह एवं हेडगेवार चरित भेंट कर नारद पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में वसु पाठक, आशीष जायसवाल, रविशंकर, विष्णु, दिनेश, श्रीधर, मनु समेत सैकड़ों शिक्षक, अधिवक्ता एवं पत्रकार उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन आशीष मोहन ने किया।

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