अमेठी| लिखने के पहले चिंतन अवश्य करें। श्रेष्ठ
चिंतन से समाज को सही दिशा मिलती है। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी
प्रांत के सह प्रांत प्रचारक मुनिश जी ने व्यक्त किए। वे प्रचार विभाग अमेठी के
संयोजन में विश्व संवाद केंद्र काशी द्वारा आयोजित "आद्य पत्रकार देवर्षि
नारद जयंती एवं पत्रकार सम्मान समारोह के "आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में
पत्रकारिता की भूमिका" विषयक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने आगे
कहा कि देवर्षि नारद आदि पत्रकार थे। वह सकारात्मक दिशा देने में कुशल थे। उनकी
श्रेष्ठ सोच के कायल देवता भी थे। उनके पास हर समस्या का समाधान होता था। इसलिए वे
हर जगह सम्मानित थे। उन्होंने कहा कि शिक्षण के साथ-साथ रोजगार से जोड़ने की
व्यवस्था युवाओं के लिए की जानी चाहिए। इस दिशा में मीडिया सार्थक भूमिका निभा
सकता है। कार्यक्रम को
संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बाल्मीकि को रामचरित कविता के रूप में लिखने के
लिए प्रेरणा उन्होंने ही दी थी। बाल्मीकि आदि कवि कहलाए। उन्होंने सनातन धर्म में
पैर छूने का संस्कार अहंकार से मुक्ति का द्योतक है। इसकी पहली शिक्षा परिवार से
मिलती है। परिवार में बचपन से जो संस्कार दिया जाता है, उससे बच्चों का
मानसिक विकास होता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जगदंबा प्रसाद ने कहा कि व्यक्ति को कभी स्वयं को वृद्ध नहीं मानना चाहिए। मैं आज भी अपने आप को 90 वर्ष का युवा मानता हूं। युवाओं में पवित्रता, संगठन की शक्ति, कार्य करने का उत्साह, कर्तव्य का पालन, प्रेम आदि गुण होने चाहिए तभी वे एक विकसित समाज के निर्माण में सहभागी बन सकते हैं। स्वस्थ व सशक्त भारत, श्रेष्ठ भारत, सेवा धारी युवा, सुखी भारत का निर्माण कर सकता है। इससे एक संपन्न देश बनाने में सहायता मिलेगी। कार्यक्रम के दौरान जिले में समाज एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले पत्रकारों को सम्मानित किया गया।
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