कार्यकारी मंडल की बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राम मंदिर, सीएए, अनुच्छेद 370 पर पारित किए प्रस्ताव
राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में राम मंदिर, अनुच्छेद 370 और नागरिकता संशोधन अधिनियम को
लेकर संघ ने अपना मत स्पष्ट किया. कार्यकारी मंडल में तीनों विषयों पर प्रस्ताव
पारित किए गए. इसके संबंध में सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने सोमवार को आयोजित प्रेस
वार्ता में जानकारी दी. Covid19 को
लेकर केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जारी एडवाइज़री को ध्यान में रखते हुए प्रतिनिधि
सभा को स्थगित कर दिया गया था. लेकिन कार्यकारी मंडल की कार्रवाई को पूरा किया गया.
संघ के 95
वर्ष के इतिहास में
पहली बार हुआ है कि प्रतिनिधि सभा की बैठक इस प्रकार स्थगित की गई हो.
नागरिकता
संशोधन अधिनियम
कार्यकारी मंडल ने नागरिकता
संशोधन अधिनियम 2019 पर
पारित प्रस्ताव में कहा कि यह भारत का नैतिक व संवैधानिक दायित्व है. साथ ही समाज
में विघटन पैदा करने का प्रयास करने वाली शक्तियों की निंदा की. प्रस्ताव में कहा
कि जिहादी–वामपंथी गठजोड़, कुछ विदेशी शक्तियों तथा
सांप्रदायिक राजनीति करने वाले स्वार्थी राजनैतिक दलों के समर्थन से, समाज के एक वर्ग में काल्पनिक भय
एवं भ्रम का वातावरण उत्पन्न करके देश में हिंसा तथा अराजकता फैलाने का कुत्सित
प्रयास कर रहा है. अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल इन कृत्यों की कठोर शब्दों में
निंदा करता है तथा संबंधित सरकारों से यह माँग करता है कि देश के सामाजिक सौहार्द
एवं राष्ट्रीय एकात्मता को खंडित करने वाले तत्वों की समुचित जाँच कराकर उपयुक्त
कार्रवाई करें.
कार्यकारी मंडल ने समाज के सभी
वर्गों से कुत्सित प्रयासों को विफल करने का आग्रह किया. प्रस्ताव के माध्यम से
सभी से आह्वान किया कि समाज के सभी वर्ग, विशेषकर
जागरूक एवं जिम्मेदार नेतृत्व इस विषय को तथ्यों के प्रकाश में समझे एवं समाज में
सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाए रखने और राष्ट्रविरोधी षड्यंत्रों को विफल करने में
सक्रिय भूमिका निभाए.
श्रीराम
जन्मस्थान पर मंदिर निर्माण
कार्यकारी मंडल ने श्रीराम मंदिर
पर पारित प्रस्ताव में कहा कि श्रीराम जन्मस्थान पर मंदिर निर्माण – राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रतीक
है. संघ ने लंबे समय से लंबित मामले पर निर्णय देने पर मा. सर्वोच्च न्यायालय का
अभिनंदन किया गया है. साथ ही न्यायालय में श्रीराम लला के पक्ष में समर्पण, निष्ठा, विद्वता के साथ तथ्यों को रखने
वाले अधिवक्ताओं का भी अभिनंदन किया गया है. कार्यकारी मंडल ने समाज का भी अभिनंदन
किया है. प्रस्ताव में कहा कि आनंद का विषय है कि समाज के किसी भी वर्ग ने इस
निर्णय को अपनी जय या पराजय के रूप में न लेते हुए इसे देश, न्याय
व संविधान की विजय के रूप में स्वीकार किया. कार्यकारी
मंडल इस परिपक्वतापूर्ण व्यवहार के लिए संपूर्ण देश के नागरिकों का अभिनन्दन करता
है. कार्यकारी मंडल ने विश्व इतिहास के इस महानतम आंदोलन के ज्ञात-अज्ञात
बलिदानियों का पुण्यस्मरण कर श्रद्धांजलि अर्पित की.
अनुच्छेद
370 व
जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन
कार्यकारी मंडल ने अनुच्छेद 370 पर पारित तीसरे प्रस्ताव में
सरकार के निर्णय का स्वागत किया. कार्यकारी मंडल ने कहा कि – भारतीय संविधान के समस्त प्रावधान
देश के सभी क्षेत्रों में समान रूप से लागू होने अपेक्षित थे, परन्तु विभाजन के तुरंत पश्चात्
पाकिस्तानी आक्रमण की तात्कालिक एवं असाधारण परिस्थिति में अनुच्छेद 370 को एक अस्थायी प्रावधान के रूप
में संविधान में जोड़ा गया. कालान्तर में अनुच्छेद 370 की आड़ में बड़ी संख्या में संविधान के अनुच्छेदों को
जम्मू-कश्मीर राज्य में या तो लागू ही नहीं किया गया अथवा संशोधित रूप में लागू
किया गया. राष्ट्रपति के आदेशों द्वारा अनुच्छेद 35A जैसे प्रावधानों को मनमाने रूप से संविधान में जोड़ने
जैसे कदमों के कारण अलगाववाद के बीज बोये गए. इन संवैधानिक विसंगतियों के कारण
अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, गोरखा, महिला, सफाई कर्मचारी तथा पश्चिमी
पाकिस्तान से आए शरणार्थी आदि घोर भेदभाव का सामना कर रहे थे. जम्मू एवं लद्दाख
क्षेत्र को राज्य विधानसभा में आनुपातिक प्रतिनिधित्व तथा संसाधनों के आवंटन और
निर्णयप्रक्रिया में समुचित सहभागिता से वंचित कर दिया गया था. इन सभी गलत नीतियों
के कारण हमने देखा कि राज्य में सर्वत्र कट्टरवाद व आतंकवाद की व्याप्ति तथा
राष्ट्रीय शक्तियों की पूर्ण उपेक्षा दिखाई देने लगी.
कार्यकारी मंडल ने आशा व्यक्त की
कि अब विस्थापितों एवं शरणार्थियों की अपेक्षाओं की भी शीघ्र पूर्ति होगी. कश्मीर
घाटी के विस्थापित हिन्दू समाज के सुरक्षित एवं सम्मानपूर्ण पुनर्वसन की प्रक्रिया
शीघ्रातिशीघ्र प्रारम्भ होगी.
कार्यकारी मंडल ने गत 70 वर्षों के दौरान देश की एकता एवं
संप्रभुता की रक्षा के लिए शौर्य एवं प्रतिबद्धता का परिचय देकर अलगाववाद एवं
आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष को जारी रखने वाले तथा अपने प्राण न्योछावर करने वाले
सेना तथा सुरक्षा बलों के हजारों जवानों व अन्य विभूतियों को कृतज्ञतापूर्वक
श्रद्धासुमन अर्पित किये.
श्रोत - विश्व संवाद केन्द्र, भारत
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