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Tuesday, June 28, 2022

विधर्मी हुई हिन्दू महिला की सनातन धर्म में वापसी की कहानी का सबक

स्टोरी ऑफ अ रिवर्ज़न हाउ आई कन्वर्टड टू इस्लाम एंड रिटर्नड टू सनातन धर्म

दशक भर पहले, केरल का कासरगोड़ जिला हिन्दुओं, विशेषकर हिन्दू लड़कियों, के विधर्मी होकर इस्लाम में जाने से सम्बन्धित एक के बाद एक कई समाचार आने के बाद सुर्खियों में आया था. विधर्मी हुई हिन्दू लड़कियों में से ही एक थी श्रुति, जो केरल के ब्राह्मण परिवार से थी. इस्लाम अपनाने पर श्रुति को नया नाम मिला रहमत’. हालांकि बाद में श्रुति फिर से सनातन धर्म में लौंटी, किन्तु यह सब कैसे सम्भव हुआ, उसके अनुभव क्या रहे? यही सब श्रुति ने बताया है अपनी मार्मिक व रोचक पुस्तक, स्टोरी ऑफ अ रिवर्जन में. जो एक आत्मकथा के रूप में लिखी गई है. यह पुस्तक एक ऐसे भुक्तभोगी की कहानी है, जो स्वयं केरल में इस्लाम और ईसाई मिशनरी द्वारा चलाए जा रहे संगठित धर्म परिवर्तन कुचक्र का शिकार हुई है.

यह आत्मकथा वर्ष २०१८ में मलयालम में सामने आई थी, जिसे केरल में तो लोकप्रियता मिली. किन्तु दुर्भाग्य से केरल के बाहर इस पुस्तक के बारे में कोई नहीं जान पाया. अब यह पुस्तक स्टोरी ऑफ अ रिवर्ज़न के नाम से अंग्रेजी में प्रकाशित हुई है जो निश्चित रूप से राष्ट्रीय फलक पर एक विमर्श का केन्द्र बनेगी. श्रुति की जीवन यात्रा का साक्षात्कार करते समय एक पाठक के रूप में आप स्तब्ध कर देने वाले कई विषयों को जानेंगे.

पहला यह, कि हिन्दू धर्म के सम्बन्ध में हमारे घरों से लेकर शैक्षणिक संस्थाओं तक प्रणालीगत ज्ञान का घोर अभाव है. इसके कारण युवा भ्रम की अवस्था में रहते हैं. इस्लामिक जेहादी और ईसाई मिशनरी इसी भ्रमित अवस्था का लाभ उठाकर हिन्दू युवा मन को भेदने में लग जाते हैं ताकि उन्हें विधर्मी किया जा सके.

दूसरा, मुस्लिम सहकर्मी और तथाकथित मुस्लिम मित्र एक संयोजित ढंग से ऐसे हिन्दू युवा मन पर इस्लाम का एक गहरा आवरण चढ़ाने लगते हैं जो अपने हिन्दू धर्म के ज्ञान के अभाव में अपनी पहचान के संकट से जूझ रहे होते हैं.

तीसरा, इन युवा हिन्दुओं को भ्रमित कर फाँसने के लिए वीडियो क्लिप्स, पुस्तकों और लेखों के रूप में प्रचुर सामग्री उपलब्ध है. जिसका बड़े व्यवस्थित ढंग से प्रयोग किया जा रहा है.

चौथा, जब एक हिन्दू लड़की विधर्मी होकर इस्लाम अपनाती है. तभी वह कठोर वास्तविकता को जान पाती है. असंख्य हिन्दू जो ज्ञान के अभाव में या झूठे प्रलोभन में आकर मुस्लिम बने, वे फिर से हिन्दू धर्म में आना चाहते हैं. किन्तु उनकी सहायता के लिए किसी प्रकार का सम्बल या आश्रय तन्त्र सामान्यतया उपलब्ध नहीं होता.

धर्म के प्रति समझ के अभाव को इंगित करते हुए श्रुति लिखती हैं, “हिन्दू होते हुए भी मुझे अपने धर्म, परम्पराओं और इसके आलौकिक विचार में कोई प्रतिबद्धता नहीं थी. वहीं मेरे मुस्लिम मित्र अपने इतिहास, (एकतरफा) दर्शन के बारे में बताते थे. उनको मेरे धर्म के बारे में सुनकर मैं अचंभित हो जाती कि मेरी तुलना में उन्हें कितनी जानकारी है.

अपने मुस्लिम मित्रों और सहकर्मियों से प्राप्त काल्पनिक घृणायुक्त सामग्री से धीरे-धीरे श्रुति को मन्दिर और हिन्दू परम्पराओं के प्रति घृणा होने लगी. वह नमाज करना सीखने लगी. और फिर अक्तूबर २०१३ में उसने अपना घर छोड़ दिया और मल्लापुरम पहुंची. जहाँ एक सभा में उसे विधिवत मुस्लिम बनाया गया. उस सभा में मुसलमान बनने वाली श्रुति अकेली हिन्दू महिला नहीं थी, बल्कि अन्य ६५ हिन्दू महिलाओं को मुसलमान बनाया गया. जिनमें गर्भवती और १६-१७ वर्ष की लड़कियां भी थीं. इनको लाने वाले इनके मुस्लिम पति और मित्र थे.

श्रुति आगे बताती है कि किस प्रकार आर्ष विद्या समाजम् के सम्पर्क में आने के बाद उनकी सहायता से वह वापस हिन्दू धर्म में लौट पाई.

यह पुस्तक वास्तव में पठनीय है, विशेषकर उन युवाओं के लिए जो हिन्दू धर्म को लेकर भ्रमित रहते हैं.

Saturday, June 25, 2022

आपातकाल, पुलिसिया कहर और संघ – संघर्ष की भूमिगत सञ्चालन व्यवस्था

- नरेन्द्र सहगल

प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गाँधी द्वारा 25 जून, 1975 को समूचे देश में थोपा गया आपातकाल एक तरफा सरकारी अत्याचारों  का पर्याय बन गया. इस सत्ता प्रायोजित आतंक को समाप्त करने के लिए संघ द्वारा संचालित सफल भूमिगत आन्दोलन इतिहास का एक महत्वपूर्ण पृष्ठ बन गया. सत्ता के इशारे पर बेकसूर जनता पर जुल्म ढा रही पुलिस की नजरों से बचकर भूमिगत आन्दोलन का सञ्चालन करना कितना कठिन हुआ होगाइसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

भूमिगत प्रेस

सरकार ने प्रेस की आजादी का गला घोंटकर आपातकाल से सम्बंधित सभी प्रकार की खबरों पर प्रतिबन्ध लगा दिया. जिन अख़बारों तथा पत्रिकाओं ने आपातकाल की घोषणा का समाचार छापा उन पर तुरन्त ताले जड़ दिए गये. राष्ट्रीय विचार अथवा प्रखर देशभक्त पत्रकारों को घरों से उठाकर जेलों में बंद कर दिया गया. जनता की आवाज पूर्णतया खामोश कर दी गयी. जनसंघर्ष/सत्याग्रह की सूचनाओं और समाचारों को जनता तक पहुँचाने के लिए संघ के कार्यकर्ताओं ने लोकवाणीजनवाणीजनसंघर्ष इत्यादि नामों से भूमिगत पत्र पत्रिकाएं प्रारंभ कीं.

इन पत्र पत्रिकाओं को रात के अँधेरे में छापा जाता था. कहीं-कहीं तो हाथ से लिखकर भी पर्चे बंटे जाते थे. साइक्लो स्टाइल मशीन से छापे गये इन पत्रों को संघ के बाल स्वयंसेवक घर घर बांटने जाते थे. इन्हीं पत्रों में सत्याग्रह की सूचनासंख्यास्थान इत्यादि की जानकारी होती थी. देश भर में छपने और बंटने वाले इन पत्रों ने तानाशाही की जड़ें हिलाकर रख दी.

कई स्थानों पर छापे पड़ेकार्यकर्त्ता पकड़े गयेबाल स्वयंसेवक भी पत्र बांटते हुए गिरफ्तार कर लिए गये. देश के विभिन्न स्थानों पर 500 से ज्यादा बाल स्वयंसेवकों को भी हिरासत में लेकर यातनाएं दी गईं. इन वीभत्स यातनाओं को बर्दाश्त करने वाले इन स्वयंसेवकों ने कहीं भी कोई भी जानकारी पुलिस को नहीं दी. भूमिगत पत्र पत्रिकाओं द्वारा आपातकाल में हो रहे पुलिसिया कहर की जानकारी आम जनता तक पहुंचा दी जाती थी.

जनांदोलन को संचालित करने से सम्बंधित प्रत्येक प्रकार की व्यवस्था के लिए बैठकों का आयोजन होता था. ये बैठकें मंदिरों की छतोंपार्कोंजेल में जा चुके कार्यकर्ताओं के घरोंशमशान घाटों इत्यादि स्थानों पर होती थीं. भूमिगत कार्यकर्ताओं ने अपने नामवेशभूषायहाँ तक की अपनी भाषा भी बदल ली थी. एक रोचक अनुभव ऐसे रहा. एक बैठक स्थान के बाहर कार्यकर्ताओं ने अपने जूते पंक्ति में रख दिए. एक CID वाला समझ गया कि भीतर ‘संघ कार्यकर्ता’ ही होंगे. उसकी सूचना पर सभी गिरफ्तार हो गये. इस घटना के बाद जूते अपने साथ ही रखने की सूचना दी गयी. ये बैठकें ऐसे स्थान पर होती थींजिसके दो रास्ते हों. ताकि विपत्ति के समय दूसरे रास्ते से निकला जा सके. बैठकों में सत्याग्रहियों की सूचीउनके घरों की व्यवस्थाधन इत्यादि का बंदोबस्त और अधिकारियों के गुप्त प्रवास इत्यादि विषयों पर विचार होता था. बैठकों के स्थानों को भी बार बार बदलते रहना पड़ता था.

भूमिगत गुप्तचर विभाग

जनांदोलन के प्रत्येक सक्रिय कार्यकर्ताओं विशेषतया संघ के स्वयंसेवकों की टोह लेने के लिए पुलिस का गुप्तचर विभाग बहुत सक्रिय रहता था. सत्याग्रह से पहले ही गिरफ्तारियां करनागली मोहल्ले वालों से पूछताछ करनाभूमिगत स्वयंसेवकों के ठहरने काउठने-बैठनेखाने इत्यादि के स्थानों की जानकारी लेकर सत्याग्रह को किसी भी प्रकार से विफल करने का प्रयास होता था. अतः सरकारी गुप्तचरों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिय संघ ने भी अपना गुप्तचर विभाग बना लिया. वेश बदलकर पुलिस थानों में जानापुलिस अफसरों के साथ दोस्ताना सम्बन्ध बनाना और सत्याग्रह के समय पुलिस की तादाद की पूर्ण जानकारी ले ली जाती थी. कई बार तो जानबूझकर सत्याग्रह के स्थान की गलत जानकारी देकर पुलिस को वन्चिका भी दी जाती थी.

संघ के इस गुप्तचर विभाग में ऐसे वृद्ध स्वयंसेवक कार्यरत थे जो शारीरिक दृष्टी से कमजोर होने पर सत्याग्रह नहीं कर सकते थे.

सत्याग्रहियों के परिवारों की देखभाल

पुलिस द्वारा पकडे जाने अथवा सत्याग्रह करके जेलों में जाने वाले अनेक स्वयंसेवकों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. परिवार में एक ही कमाने वाला होने के कारण दाल रोटीबच्चों की फ़ीसमकान का किराया इत्यादि संकट आते थे. संघ की ओर से एक सहायता कोष की स्थापना की गयी. संघ के स्वयंसेवकों ने इस अति महत्वपूर्ण कार्य को संपन्न करने का बीड़ा उठाया. ऐसे परिवार जिनका कमाने वाला सदस्य जेल में चला गयाउस परिवार की सम्मानपूर्वक आर्थिक व्यवस्था कर दी गयी. ऐसे भी परिवार हैंजिनके बच्चों ने स्वयं मेहनत करके पूरे 19 महीने तक घर में पिता की कमी महसूस नहीं होने दी. इधर पुलिस ने ऐसे लोगों को भी पकड़कर जेल में ठूंस दिया जो इन जरूरतमंद परिवारों की मदद करते थे. उल्लेखनीय है कि स्वयंसेवकों ने एक दूसरे की सहायता अपना राष्ट्रीय एवं संगठात्मक कर्तव्य समझकर की.

रामसेवा समिति

संघ पर प्रतिबन्ध लग चुका था. स्वयंसेवक आपातकाल के विरुद्ध संघर्ष कर रहे थे. पुलिसिया कहर अपने चरम सीमा पर था. ऐसे में संगठन के काम में अनेक प्रकार की बाधाएं आना स्वाभाविक ही थीं. शाखाएं लगाना संभव नहीं था. इस संकट से निपटने के लिए ‘राम सेवा समिति’ (आरएसएस) का गठन किया गया. इसी नाम से पार्कोंमंदिरों इत्यादि स्थानों पर योग कक्षाएंवॉलीबालबैडमिन्टन इत्यादि के कार्यक्रम प्रारंभ हो गए अर्थात संगठन और संघर्ष को एक साथ चलाने की नीति पर संघ सफ़ल हुआ. परिणामस्वरूप सरकार झुकी आपातकाल हटाया गया और चुनावों की घोषणा हो गयी.

क्रमशः…

Thursday, June 23, 2022

असंख्य कला साधकों के हृदयों को सूना कर गए बाबा योगेंद्र

काशी| विश्व संवाद केन्द्र, काशी में संस्कार भारती काशी की ओर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक, संस्कार भारती के संस्थापक एवं राष्ट्रीय संरक्षक कलाऋषि पद्मश्री बाबा योगेन्द्र जी को नम आँखों से श्रद्धांजलि अर्पित की गयी| इस दौरान कार्यकर्ताओं ने बाबा योगेन्द्र का स्मरण करते हुए कहा कि बाबा योगेंद्र जी चले गए...किंतु असंख्य कला साधकों के हृदयों को सूना कर गए|

      श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र कार्यवाह डॉ.वीरेन्द्र जायसवाल ने कहा कि  बाबा योगेन्द्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ.हेडगेवार एवं द्वितीय सरसंघचालक पू.श्री गुरुजी के सच्चे अनुयायी के रूप में समाज को प्रेरित किया| वे आज अपने शरीर में न होकर भी विचार बनकर हमारे बीच हैं| उन्होंने कहा कि कला क्षेत्र में सत्यम, शिवमसुंदरम का भाव स्थापित करना ही बाबा योगेंद्र जी के लिए संस्कार भारती के कलाकारों द्वारा उचित श्रद्धांजलि होगी।

      वरिष्ठ प्रचारक एवं प्रज्ञा प्रवाह के उत्तर प्रदेश, बिहार एवं झारखण्ड के संयोजक रामाशीष जी ने अपनी  भावांजलि देते हुए कहा कि उनकी गोद में खेलनी वालों ने उन्हें बाबा बना दिया| हमारे बीच से एक ऐसा व्यक्ति उठा है जो मन, वचन, कर्म से तपस्वी था| उन्होंने एक स्मृति साझा करते हुए कहा कि 35 वर्ष पूर्व जब मैं आगरा गया था तब ताजमहल देखने की इच्छा जताई तब बाबा जी ने पूछा कि इतने बड़े आगरा शहर में ताजमहल ही क्यों, दयालबाग मन्दिर देखने की इच्छा क्यों नहीं हुई? उन्होंने बताया कि एक बार बाबा योगेन्द्र भारतीय संस्कृति का विरोध करने वाली संस्था इप्टा का कार्यक्रम देखकर व्यथित हुए जिसमें भगवान राम के अस्तित्व को विकृत रूप में दर्शाया| उन्होंने बताया कि पूरे देश में सक्रिय इप्टा की नाकारात्मक मानसिकता को समाप्त करने का कार्य संस्कार भारती ने किया|

      संस्कार भारती के अखिल भारतीय चित्रकला संयोजक डॉ सुनील कुमार विश्वकर्मा (अध्यक्ष, ललित कला विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ) ने कहा कि बाबा योगेंद्र जी मुझ जैसे असंख्य चित्रकारों के वह सदा ही प्रेरणा स्रोत रहेंगे। उनसे हमारा बहुत ही घनिष्ठ और पिता पुत्र तुल्य संबंध था। उनके चले जाने से मुझे अपने जीवन में रिक्तता का आभास होता है।

      राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर प्रदेश क्षेत्र के ग्राम विकास संयोजक चंद्र मोहन जी ने कहा कि पद्मश्री स्वर्गीय बाबा योगेंद्र जी कलाकार नहीं बल्कि कला को जीवन में जीने वाले एक ऋषि थे। वह संस्कार भारती के दूसरे डॉक्टर हेडगेवार थे। श्रद्धांजलि सभा में अखिल भारती संत समिति के महामंत्री एवं गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्र नंद सरस्वती ने बाबा योगेंद्र को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि बाबा योगेन्द्र जी के जाने से एक युग का अंत हुआ जिसे स्वतंत्रता से पूर्व संघ के प्रचारक निकलकर राष्ट्र की सेवा में समर्पित हो कला साधकोंसाहित्यकारोंचित्रकारों को भारत की वैभवशाली लोक कलाओंलोक विधाओं से निरंतर जोड़ने के लिए संस्कार भारती की स्थापना की। 78 वर्ष की प्रचारक आयु पूर्ण कर 98 वर्षीय श्रदधेय बाबा योगेंद्र जी ने भारत विभाजन की विभीषिका को जिन्होंने स्वयं अनुभव किया और उसे जिया। आज उनकी कमी हम सबको बहुत उद्वेलित कर रही है। किन्तु उनका ऋषि तुल्य जीवन हम सबको भारत की कला संस्कृति की धन्यता बढ़ाने में मार्गदर्शन करता रहेगा। उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रेरणा पुंज बनकर संपूर्ण कला साधकों में भारत की गौरवशाली परंपरा को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।

      काशी प्रांत के संगठन मंत्री दीपक शर्मा ने कहा कि बाबा का जीवन बहुत ही संयमित था। उनकी दिनचर्या 4:00 बजे प्रातः काल से शुरू होकर और दिन भर किसी न किसी से योजनानुसार कार्यकर्ताओं से मिलना जुलना उनका रहता था। उन्हें देश भर के जितने लोग उन्हें जानते थे उन सभी लोगों के परिवार से भी बाबा योगेंद्र का परिचय था। आत्मीय स्नेह देना सबके नाम याद रखना उनकी अपनी विशेषता थी। उन्होंने कहा कि मिलने आये कार्यकर्ताओं एवं कलाकारों के सम्मान में वे अपने कंधे पर रखा हुआ गमछा उनकी स्वागत में बिछाकर आसन देते थे| उनके इसी आत्मीयता के परिणामस्वरुप लोग उनसे जुड़ें रहते थे| कार्यक्रम के प्रारम्भ में काशी हिन्दू विश्विद्यालय के संगीत विभाग के डॉ.ज्ञानेश चन्द्र पाण्डेय एवं डॉ.मधुमिता भट्टाचार्य ने भजन के माध्यम से बाबा योगेन्द्र को श्रद्धांजलि अर्पित किया|

    सभा में वरिष्ठ प्रचारक राजेंद्र सक्सेनाराम सुचित पांडेडॉ राजेश्वर आचार्या, डॉ. हरेंद्र कुमार रायवरिष्ठ प्रचारक नागेन्द्र द्विवेदीडॉ वेद प्रकाश शर्मा, नागेश्वर सिंह, दीनदयाल जी, रामआशीष पांडेय, सुधीर पाण्डेय, बृजमोहन यादववरिष्ठ प्रचारक राघवेन्द्र, अमित गुप्ता, रोहित तिवारी, डॉ.मनीष, रमेश कुमार सिंह, नीरज कुमार अग्रवाल, डॉ सौरभ कुमार श्रीवास्तव, प्रमोद पाठक, अर्चना मालवीय, पूनम सैनी, प्रदीप चौरसिया, राकेश यादव, रजनीश उपाध्याय, सौरभ कुमार सिंह, अभय कुमार सिंह सागर, डॉ. प्रेमचंद विश्वकर्मास्वप्निल उपाध्याय समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहें| संचालन संस्कार भारती काशी प्रांत के प्रांतीय प्रतिनिधि सुनील किशोर द्विवेदी ने किया|






Wednesday, June 22, 2022

काशी ने मनाया योग उत्सव, योग से निरोग होने की जगाई अलख


काशी। मंगलवार को काशी में योग दिवस पर जबरदस्त दृश्य देखने को मिला। आदियोगी भगवान शिव की इस नगरी में योग दिवस का उल्‍लास सुबह से ही दिखाई देने लगा। काशी में लगभग छह लाख लोगों ने अपने-अपने सुनिश्चित स्थानों पर योग करके निरोग रहने का संदेश दिया। 



योग दिवस का स्वागत काशी के बटुको ने दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती के साथ सूर्य नमस्कार कर परंपरागत रूप से किया। इसके अतिरिक्त असि घाट के सुबह ए बनारस मंच से भी लोगों ने योग के माध्यम से निरोग रहने की कामना की। काशीवासियों ने नमो घाट समेत अन्य सभी घाटों, विद्यालयों एवं पार्कों में योग दिवस को उत्सव के रूप में मनाया। 



नमो घाट पर एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला जहां जेटी को आपस में जोड़ कर बनाई गई 75 अंक को उकेरा गया था जो स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर मनाए जा रहे अमृत महोत्सव का संदेश दे रहे थे। इस अवसर पर नमो घाट पर लगभग पांच हजार से अधिक लोग उपस्थित रहे। 





इसी प्रकार लहरतारा के शिवदासपुर में भी आयोजित योग कार्यक्रम में महिलाओं समेत वृद्ध एवं बच्चों ने भी सहभाग कर स्वस्थ काशी, स्वस्थ भारत की ओर कदम बढ़ाया। 


हर्ष का विषय है कि आज भारतवर्ष विश्व भर में योग का प्रतिनिधित्व कर रहा है, योग की महत्ता पूरे विश्व को समझा रहा है और इस संपूर्ण भारत में काशी अपना प्रमुख योगदान समर्पित कर रहा है।



Thursday, June 16, 2022

आतंकियों और पत्थरबाजो की चुनौती का सामना कर रहा है देश - रामकुमार वर्मा

प्रयागराज। देश एक बार फिर से आंतरिक एवं बाह्य चुनौतियों का सामना कर रहा है। आजादी से पहले जिस तरह की चुनौती थी लगभग वैसी ही चुनौतियां इस समय भी है। भारत के दुबारा बटवारे का सपना देखने वाली ताकतो को पोषित करने वाले इस देश के भीतर छुपे हुये हैं। समय रहते  इनको पहचानने की जरूरत है। कुछ राजनीतिक दल इनको खुला प्रश्रय दे रहे है। आतंकियों और पत्थरबाजो की चुनौती का भी देश सामना कर रहा है। उक्त उद्गार बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र संघचालक रामकुमार वर्मा ने मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किया। वह नैनी स्थित माधव ज्ञान केन्द्र इंटर कॉलेज मे चल रहे 20 दिवसीय संघ शिक्षावर्ग-प्रथम वर्ष (सामान्य) के समापन समारोह मे प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित कर रहे थे।

    उन्होंने  आह्वान किया कि राष्ट्रहित में उठाए जा रहे कदमों का विरोध करने वाली तथा दंगा कराने वाली ताकतों को पहचानकर उन्हें रद्दी की टोकरी में फेकने का काम करें| देश को अस्थिर करने वाली शक्तियां अपना खेल जम कर खेल रही है। देश वैचारिक चुनौतियों का भी सामना कर रहा है। शहरी नक्सली बड़े ही सुनियोजित ढंग से राष्ट्रीयता और यहां की प्राचीन संस्कृति के बारे में भ्रम फैला रहे हैं। चिरंतन काल से यहां एक संस्कृति की अजस्र धारा प्रवाहित हो रही है जिसे भारतीय संस्कृति या हिंदू संस्कृति के नाम से पूरी दुनिया जानती है। यह संस्कृति अरबो वर्ष पुरानी है। यही संस्कृति पूरे देश को एकता के सूत्र में बांधे हुए है। इस संस्कृति की धारा में  बंधे हुए लोग देश के तीर्थ, महापुरुषों के प्रति समान रूप से श्रद्धा रखते है तथा भारत माता को अपनी माता मानते है। देश में अलग-अलग समूह के रूप में रहने वाले लोगों की उपासना पद्धति  भले ही अलग हो सकती है किंतु  सभी के पुरखे तो एक ही है। सब के पूर्वज हिंदू है। हिंदू राष्ट्रीयता का बोधक है।

      उन्होंने अनेकता में एकता के भाव को दर्शाते हुए कहा कि इस देश से हज करने के लिए जाने वाले मुसलमानों को भी हिंदुस्तानी मुसलमान कहा जाता है। स्वामी विवेकानंद को भी हिंदू सन्यासी कहकर पुकारा गया। यह समय की मांग है कि हर तरह का अहंकार भूलकर सामाजिक समरसता से देश को मजबूत बनाएं। लार्ड मैकाले की शिक्षा को छोड़कर स्वावलंबी एवं देशभक्त बनाने वाली शिक्षा ग्रहण करें। संपूर्ण मानव कल्याण के लिए हिंदुत्व को बढ़ाएं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत अखंड होकर रहेगा महर्षि अरविंद का संकल्प पूरा होगा।

      समारोह के अध्यक्ष रज्जू भैया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश सिंह ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे यहां प्राप्त प्रशिक्षण का लाभ समाज को पहुंचाए। समाज को भी संगठित और अनुशासित करें। असली ताकत नेतृत्व में नहीं उन लोगों के पास होती है जिनका वह नेतृत्व करता है। इस सच्चाई को कभी भी न भूले। संघ में सेवा अनुशासन एवं समर्पण का गजब का भाव है, देश इसी से आगे बढ़ेगा। अपने प्रशिक्षण का उपयोग बेहतर मानव बनाने हेतु करें।

      मुख्य वक्ता एवं अध्यक्ष के उद्बोधन के पूर्व गणवेशधारी प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं ने घोष की धुन के साथ समता, दंड, दंड युद्ध, पदविन्यास, नियुद्ध, व्यायाम, योग आदि का सामूहिक प्रदर्शन किया जो अत्यंत उत्साहित करने वाला था| मंच पर प्रांत संघचालक डॉ विश्वनाथ लाल निगम, वर्ग अधिकारी रमेश प्रमुख रूप से उपस्थित थे‌।

      समारोह में अखिल भारतीय गौ सेवा प्रमुख अजीत प्रसाद महापात्र, क्षेत्र प्रचारक अनिल जी, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख राजेंद्र जी, सह प्रांत संघचालक अंगराज जी, प्रांत प्रचारक रमेश जी, सह प्रांत प्रचारक मुनीश जी, प्रांत प्रचारक प्रमुख रामचंद्र जी, प्रांत कार्यवाह मुरली पाल, सह प्रांत कार्यवाहद्वय राकेश जी एवं राज बिहारी लाल, विभाग प्रचारक डॉ पीयूष जी, प्रांत बौद्धिक प्रमुख सत्यपाल जी प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ.मुरार जी, विभाग प्रचार प्रमुख वसु जी, चारु मित्र जी उपस्थित रहें। वर्ग कार्यवाह हरीश जी ने इस अवसर पर बताया कि वर्ग में तीन विभागों के सारे जिलों की लगभग 300 प्रशिक्षणार्थियों ने प्रशिक्षण  प्राप्त किया। इनमें छात्र, कृषक, वक्ता, शिक्षक, व्यवसाई तथा पूर्ण कालिक कार्यकर्ता सम्मिलित रहें।








Wednesday, June 15, 2022

शिवाजी महाराज ने सनातन भारत की हताश भूमि को एक नई ऊर्जा प्रदान की - प्रो. राकेश उपाध्याय

प्रयागराज। मुगलिया सल्तनत की तानाशाही और अत्याचारों से जब पूरा देश कराह रहा था, उस समय हिंदवी स्वराज्य की स्थापना करके छत्रपति शिवाजी महाराज ने सनातन भारत की हताश भूमि को एक नई ऊर्जा प्रदान की। सर्वपंथ समादर हिंदवी स्वराज्य का मूल आदर्श था। यह विचार काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. राकेश उपाध्याय ने माधव ज्ञान केंद्र इंटर कॉलेज मे व्यक्त किया। वे हिंदू साम्राज्य स्थापना उत्सव को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे।

प्रो. उपाध्याय ने आगे कहा कि शिवाजी महाराज ने किसानों, महिलाओं तथा वंचितों को उनका अधिकार प्रदान कर प्राचीन भारत के राम राज्य के आदर्श को पुन: प्रतिष्ठित किया। उन्होंने जागीरदारी प्रथा समाप्त की तथा किसानों को उनकी भूमि का अधिकार दिया। छत्रपति शिवाजी महाराज ने सत्ता का विकेंद्रीकरण किया तथा लोगों को अत्याचार धर्मांतरण से पूरी तरह मुक्ति दिलाई। उन्होंने सांस्कृतिक गुलामी के चिन्ह को मिटाया तथा जबरन धर्मांतरित लोगों की घर वापसी का मार्ग प्रशस्त किया। देश में पहली बार शिवाजी ने नौसेना बनाई तथा देश धर्म की प्रतिष्ठा एवं सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा की। शिवाजी ने सबको अन्न, वस्त्र तथा न्याय सुलभ कराया। विदेशी शक्तियों के अत्याचार के खिलाफ पहली बार वे सीना तान कर खड़े हुए और समाज के अति साधारण लोगों को साथ लेकर हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज की राजनीति को शिवाजी से प्रेरणा लेनी चाहिए। शिवाजी के जीवन के संबंध में विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने आगे कहा कि अपनी मां वीरमाता जीजाबाई और समर्थ गुरु रामदास को दिए वचन का उन्होंने पालन किया। शिवाजी के महान योगदान को देखते हुए ही लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने महाराष्ट्र से शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक दिवस को उत्सव के रूप में मनाने की परंपरा शुरू की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी अपने छह उत्सव में इस उत्सव को महत्वपूर्ण स्थान दिया। कहा कि प्राणों की बाजी लगाकर शिवाजी ने भारतीय राजनीति को नई राह दिखाई। समारोह में मंच पर प्रांत संघचालक डॉ.विश्वनाथ लाल निगम के अतिरिक्त वर्ग अधिकारी रमेश जी उपस्थित रहें|

इस अवसर पर वर्ग कार्यवाह हरीश जी, विभाग प्रचारक डॉ.पीयूष जी, प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. मुरारजी त्रिपाठी, सह विभाग कार्यवाह घनश्याम जी, राकेश सेंगर आदि की उपस्थिति रही।

दूसरी ओर प्रयाग उत्तर तथा दक्षिण के सभी नगरों में हिंदू साम्राज्य दिवस पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। प्रयाग उत्तर में चंद्रशेखर नगर में गंगा दत्त जोशी, ब्रह्मचारी नगर में संतोष जी, शिव प्रकाश जी ब्रह्म शंकर एवं लालता प्रसाद आदि वक्ताओं ने अलग-अलग स्थानों पर आयोजित उत्सव को संबोधित किया।

Tuesday, June 14, 2022

वैदिक मंत्रोच्चार के साथ बाबा योगेन्द्र की अस्थि त्रिवेणी संगम में विसर्जित, दी गयी श्रद्धांजलि

 

प्रयागराज। संस्कार भारती के संस्थापक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक पद्मश्री बाबा योगेंद्र का मंगलवार को त्रिवेणी संगम में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अस्थि विसर्जन किया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक अनिल जी तथा संस्कार भारती के संगठन मंत्री दीपक जी ने संगम तट पर बड़ी संख्या में उपस्थित विचार परिवार के कार्यकर्ताओं की उपस्थिति के बीच कला एवं संस्कृति के इस महान साधक, राष्ट्रव्रती प्रचारक के अस्थि कलश को संगम के पवित्र जल में विसर्जित किया गया।

    तीर्थ पुरोहित प्रदीप पांडे ने मध्य संगम में नौका पर शास्त्रोक्त विधि विधान से गंगा पूजन, अस्थि अभिषेक तथा पिंडदान कराया जिसे संगठन मंत्री दीपक जी एवं क्षेत्र प्रचारक अनिल जी ने पूर्ण किया। इसके पश्चात तीर्थ पुरोहित को अन्न दान, वस्त्र दान तथा दक्षिणा आदि समर्पित की गई। बीती रात लखनऊ से बाबा की अस्थि कलश यात्रा सिविल लाइंस स्थित संघ कार्यालय पहुंची।

बाबा योगेन्द्र को दी गयी श्रद्धांजलि

    मंगलवार को प्रातः ज्वाला देवी इंटर कॉलेज सभागार में एक शोक सभा आयोजित की गई। इसमें क्षेत्र प्रचारक अनिल जी, अखिल भारतीय गौ सेवा प्रमुख अजीत प्रसाद महापात्र, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख राजेंद्र जी, प्रांत संघचालक डॉ विश्वनाथ लाल निगम, प्रांत प्रचारक रमेश जी, प्रांत कार्यवाह मुरली पाल जी, संस्कार भारती के जिलाध्यक्ष योगेंद्र जी, महामंत्री ज्योति मिश्रा विभाग, प्रचारक डॉक्टर पीयूष, सीताराम जी, प्रदीप भटनागर, रविंद्र कुशवाहा, आशुतोष आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित की तथा उन्हें कला एवं संस्कृति का महान साधक बताया। शोक सभा के पश्चात अस्थि कलश यात्रा विचार परिवार कार्यकर्ताओं की उपस्थिति के साथ संगम तट के लिए प्रस्थान हुई और वहां वैदिक विधि विधान से अस्थि कलश को विसर्जित किया गया।

ललित कला अकादमी के क्षेत्रीय सचिव डॉक्टर देवेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि बाबा की एक अस्थि कलश यात्रा 18 से को लखनऊ से हरिद्वार के लिए प्रस्थान करेगी। इसके पूर्व 11 को लखनऊ से एक यात्रा बस्ती के लिए गई| सरयू में उनका अस्थि कलश प्रवाहित किया गया।