प्रयागराज। मुगलिया सल्तनत की तानाशाही और अत्याचारों से
जब पूरा देश कराह रहा था, उस समय हिंदवी स्वराज्य की स्थापना करके छत्रपति शिवाजी
महाराज ने सनातन भारत की हताश भूमि को एक नई ऊर्जा प्रदान की। सर्वपंथ समादर
हिंदवी स्वराज्य का मूल आदर्श था। यह विचार काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो.
राकेश उपाध्याय ने माधव ज्ञान केंद्र इंटर कॉलेज मे व्यक्त किया। वे हिंदू
साम्राज्य स्थापना उत्सव को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे।
प्रो. उपाध्याय ने आगे कहा कि शिवाजी महाराज ने किसानों,
महिलाओं तथा वंचितों को उनका अधिकार प्रदान कर प्राचीन भारत के राम राज्य के आदर्श
को पुन: प्रतिष्ठित किया। उन्होंने जागीरदारी प्रथा समाप्त की तथा किसानों को उनकी
भूमि का अधिकार दिया। छत्रपति शिवाजी महाराज ने सत्ता का विकेंद्रीकरण किया तथा
लोगों को अत्याचार धर्मांतरण से पूरी तरह मुक्ति दिलाई। उन्होंने सांस्कृतिक
गुलामी के चिन्ह को मिटाया तथा जबरन धर्मांतरित लोगों की घर वापसी का मार्ग
प्रशस्त किया। देश में पहली बार शिवाजी ने नौसेना बनाई तथा देश धर्म की प्रतिष्ठा
एवं सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा की। शिवाजी ने सबको अन्न, वस्त्र तथा न्याय सुलभ
कराया। विदेशी शक्तियों के अत्याचार के खिलाफ पहली बार वे सीना तान कर खड़े हुए और
समाज के अति साधारण लोगों को साथ लेकर हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज की राजनीति को शिवाजी से
प्रेरणा लेनी चाहिए। शिवाजी के जीवन के संबंध में विस्तार से चर्चा करते हुए
उन्होंने आगे कहा कि अपनी मां वीरमाता जीजाबाई और समर्थ गुरु रामदास को दिए वचन का
उन्होंने पालन किया। शिवाजी के महान योगदान को देखते हुए ही लोकमान्य बाल गंगाधर
तिलक ने महाराष्ट्र से शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक दिवस को उत्सव के रूप में
मनाने की परंपरा शुरू की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी अपने छह उत्सव में इस
उत्सव को महत्वपूर्ण स्थान दिया। कहा कि प्राणों की बाजी लगाकर शिवाजी ने भारतीय
राजनीति को नई राह दिखाई। समारोह में मंच पर प्रांत संघचालक डॉ.विश्वनाथ लाल निगम
के अतिरिक्त वर्ग अधिकारी रमेश जी उपस्थित रहें|
इस अवसर पर वर्ग कार्यवाह हरीश जी, विभाग प्रचारक डॉ.पीयूष
जी, प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. मुरारजी त्रिपाठी, सह विभाग कार्यवाह घनश्याम जी, राकेश सेंगर आदि की उपस्थिति रही।
दूसरी ओर प्रयाग उत्तर तथा दक्षिण के सभी नगरों में हिंदू
साम्राज्य दिवस पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। प्रयाग उत्तर में चंद्रशेखर नगर में
गंगा दत्त जोशी, ब्रह्मचारी नगर में संतोष जी, शिव प्रकाश जी ब्रह्म शंकर एवं
लालता प्रसाद आदि वक्ताओं ने अलग-अलग स्थानों पर आयोजित उत्सव को संबोधित किया।
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