काशी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छह उत्सवों में से एक हिंदू साम्राज्य स्थापना उत्सव (ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी) का आयोजन रविवार को काशी में विभिन्न स्थानों पर किया गया। सभी नगरों में आयोजित इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने हिन्दू साम्राज्य दिवस के महत्व के साथ वीर शिवाजी के व्यक्तित्व एवं आज के दिन हुए उनके राज्याभिषेक पर प्रकाश डाला। इस दौरान पूर्ण गणवेश में स्वयंसेवकों ने कार्यक्रम में अपना योगदान दिया।
काशी दक्षिण भाग के केशव नगर स्थित औद्योगिक प्रशिक्षण
संस्थान करौंदी के प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रो. समीर कुमार
सिंह एवं अध्यक्षता कर रहे प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने कहा कि सुराज्य और सुशासन की
विरासत छत्रपति शिवाजी महाराज ने हमको दी है, उस विरासत को अब हमको अपने राष्ट्र जीवन में लाना पड़ेगा।
अपना सेनादल स्वयं पूर्ण रहे, इस पर छत्रपति
शिवाजी महाराज काफी ध्यान दिया करते थे। काशी के लोगो के लिए ये गर्व का विषय है
कि शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक करने का सौभाग्य काशीवासियों को मिला था।
कामाख्यानगर की विनायका शाखा द्वारा क्रान्तिपल्ली कालोनी के पार्क में आयोजित
कार्यक्रम में वक्ताद्वय प्रो. राधेश्याम दूबे एवं प्रो. सुनील कुमार विश्वकर्मा
ने हिंदू समाज को संगठित करने, सामंजस्य बनाने और
अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक रहने के लिए कई उदाहरणों और कथानकों के माध्यम से
स्वयंसेवकों को समझाने का प्रयास किया। अध्यक्षता गया प्रसाद अरोड़ा एवं संचालन
संजय कुशवाह ने किया। सरस्वती शाखा पर नगर संघचालक विजय जायसवाल ने शिवा जी के
व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। विश्वकर्मा नगर में आयोजित कार्यक्रम में स्वयंसेवकों
ने डा.हेडगेवार, श्रीगुरू जी एवं वीर
शिवाजी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर हिन्दू साम्राज्य उत्सव मनाया। शंकुलधारा शाखा
पर आयोजित कार्यक्रम में शाखा कार्यवाह मनोज कुमार ने विषय रखा। अध्यक्षता डा. वी
वी मिश्र ने किया। केदारेश्वर नगर में डा. ओ.पी. शर्मा एवं डा. विश्वनाथ दूबे ने
अपना विचार रखा। इसके अतिरिक्त भाग के रविदास नगर, माधव नगर, कबीर नगर समेत अन्य
नगरों में कार्यक्रम आयोजित किए गए।
काशी उत्तर भाग के समस्त नगरों में आयोजित कार्यक्रम में
वक्ताओं ने अपने विचार रखें। केशव शाखा पर डॉ.के.के. सिंह ने छत्रपति शिवाजी
महाराज व माता जीजाबाई के जीवन काल घटना का वर्णन किया| चेतसिंह नगर में पूर्व महानगर कार्यवाह व वरिष्ठ स्वयंसेवक
मुरली जी ने शिवाजी के मूर्ति पे पुष्पार्चन किया उन्होंने हिन्दू साम्राज्य
दिनोत्सव का महत्व व 1674 ईसवी से 1818
ईसवी तक के काल खंड की शौर्य गाथा स्वयंसेवको को बताया। लमही स्तिथ प्रेमचन्द्र शाखा
पर गोविंद जी ने शिवाजी के जीवन मे भगवान श्रीकृष्ण के आचरण व उनकी महाभारत काल की
युद्ध नीति को किस प्रकार शिवाजी ने अपने आचरण में समाहित किया व प्रभु श्रीराम के रामराज को प्रतिरूप बनाकर शिवा
जी अपने शासन की व्यवस्था कैसे बनाई, इस विषय चर्चा किया| साथ ही भाग के अन्य
क्षेत्रों में भी शाखाओं पर विचार परिवारिक कार्यकर्ताओं के द्वारा अनेक कार्यक्रम
आयोजित किये गए|
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