काशी|
विश्व संवाद केन्द्र, काशी में संस्कार भारती काशी
की ओर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक, संस्कार
भारती के संस्थापक एवं राष्ट्रीय संरक्षक कलाऋषि पद्मश्री बाबा योगेन्द्र जी को नम
आँखों से श्रद्धांजलि अर्पित की गयी| इस दौरान कार्यकर्ताओं
ने बाबा योगेन्द्र का स्मरण करते हुए कहा कि बाबा योगेंद्र जी चले गए...किंतु
असंख्य कला साधकों के हृदयों को सूना कर गए|
श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र कार्यवाह डॉ.वीरेन्द्र जायसवाल ने कहा कि बाबा योगेन्द्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ.हेडगेवार एवं द्वितीय सरसंघचालक पू.श्री गुरुजी के सच्चे अनुयायी के रूप में समाज को प्रेरित किया| वे आज अपने शरीर में न होकर भी विचार बनकर हमारे बीच हैं| उन्होंने कहा कि कला क्षेत्र में सत्यम, शिवम, सुंदरम का भाव स्थापित करना ही बाबा योगेंद्र जी के लिए संस्कार भारती के कलाकारों द्वारा उचित श्रद्धांजलि होगी।
वरिष्ठ प्रचारक एवं प्रज्ञा प्रवाह के उत्तर प्रदेश, बिहार एवं झारखण्ड के संयोजक रामाशीष जी ने अपनी भावांजलि देते हुए कहा कि उनकी गोद में खेलनी वालों ने उन्हें बाबा बना
दिया| हमारे बीच से एक ऐसा व्यक्ति उठा है जो मन, वचन, कर्म से तपस्वी था| उन्होंने
एक स्मृति साझा करते हुए कहा कि 35 वर्ष पूर्व जब मैं आगरा गया था तब ताजमहल देखने
की इच्छा जताई तब बाबा जी ने पूछा कि इतने बड़े आगरा शहर में ताजमहल ही क्यों,
दयालबाग मन्दिर देखने की इच्छा क्यों नहीं हुई? उन्होंने बताया कि एक बार बाबा योगेन्द्र भारतीय संस्कृति का विरोध करने
वाली संस्था इप्टा का कार्यक्रम देखकर व्यथित हुए जिसमें भगवान राम के अस्तित्व को
विकृत रूप में दर्शाया| उन्होंने बताया कि पूरे देश में सक्रिय
इप्टा की नाकारात्मक मानसिकता को समाप्त करने का कार्य संस्कार भारती ने किया|
संस्कार भारती के अखिल भारतीय चित्रकला संयोजक डॉ सुनील कुमार विश्वकर्मा
(अध्यक्ष, ललित कला विभाग, महात्मा
गांधी काशी विद्यापीठ) ने कहा कि बाबा योगेंद्र जी मुझ जैसे असंख्य चित्रकारों के
वह सदा ही प्रेरणा स्रोत रहेंगे। उनसे हमारा बहुत ही घनिष्ठ और पिता पुत्र तुल्य
संबंध था। उनके चले जाने से मुझे अपने जीवन में रिक्तता का आभास होता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर प्रदेश क्षेत्र के ग्राम विकास संयोजक
चंद्र मोहन जी ने कहा कि पद्मश्री स्वर्गीय बाबा योगेंद्र जी कलाकार नहीं बल्कि
कला को जीवन में जीने वाले एक ऋषि थे। वह संस्कार भारती के दूसरे डॉक्टर हेडगेवार
थे। श्रद्धांजलि सभा में अखिल भारती संत समिति के महामंत्री एवं गंगा महासभा के
राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्र नंद सरस्वती ने बाबा योगेंद्र को अपनी
श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि बाबा योगेन्द्र जी के जाने से एक युग का अंत
हुआ जिसे स्वतंत्रता से पूर्व संघ के प्रचारक निकलकर राष्ट्र की सेवा में समर्पित
हो कला साधकों, साहित्यकारों, चित्रकारों
को भारत की वैभवशाली लोक कलाओं, लोक विधाओं से निरंतर जोड़ने के लिए संस्कार
भारती की स्थापना की। 78 वर्ष की प्रचारक आयु पूर्ण कर 98 वर्षीय श्रदधेय बाबा योगेंद्र जी ने भारत विभाजन की विभीषिका को जिन्होंने
स्वयं अनुभव किया और उसे जिया। आज उनकी कमी हम सबको बहुत उद्वेलित कर रही है।
किन्तु उनका ऋषि तुल्य जीवन हम सबको भारत की कला संस्कृति की धन्यता बढ़ाने में
मार्गदर्शन करता रहेगा। उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रेरणा पुंज बनकर संपूर्ण
कला साधकों में भारत की गौरवशाली परंपरा को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।
काशी प्रांत के संगठन मंत्री दीपक शर्मा ने कहा कि बाबा का जीवन बहुत ही संयमित था। उनकी दिनचर्या 4:00 बजे प्रातः काल से शुरू होकर और दिन भर किसी न किसी से योजनानुसार कार्यकर्ताओं से मिलना जुलना उनका रहता था। उन्हें देश भर के जितने लोग उन्हें जानते थे उन सभी लोगों के परिवार से भी बाबा योगेंद्र का परिचय था। आत्मीय स्नेह देना सबके नाम याद रखना उनकी अपनी विशेषता थी। उन्होंने कहा कि मिलने आये कार्यकर्ताओं एवं कलाकारों के सम्मान में वे अपने कंधे पर रखा हुआ गमछा उनकी स्वागत में बिछाकर आसन देते थे| उनके इसी आत्मीयता के परिणामस्वरुप लोग उनसे जुड़ें रहते थे| कार्यक्रम के प्रारम्भ में काशी हिन्दू विश्विद्यालय के संगीत विभाग के डॉ.ज्ञानेश चन्द्र पाण्डेय एवं डॉ.मधुमिता भट्टाचार्य ने भजन के माध्यम से बाबा योगेन्द्र को श्रद्धांजलि अर्पित किया|
सभा में वरिष्ठ प्रचारक राजेंद्र सक्सेना, राम सुचित पांडे, डॉ राजेश्वर आचार्या, डॉ. हरेंद्र कुमार राय, वरिष्ठ प्रचारक नागेन्द्र द्विवेदी, डॉ वेद प्रकाश शर्मा, नागेश्वर सिंह, दीनदयाल जी, रामआशीष पांडेय, सुधीर पाण्डेय, बृजमोहन यादव, वरिष्ठ प्रचारक राघवेन्द्र, अमित गुप्ता, रोहित तिवारी, डॉ.मनीष, रमेश कुमार सिंह, नीरज कुमार अग्रवाल, डॉ सौरभ कुमार श्रीवास्तव, प्रमोद पाठक, अर्चना मालवीय, पूनम सैनी, प्रदीप चौरसिया, राकेश यादव, रजनीश उपाध्याय, सौरभ कुमार सिंह, अभय कुमार सिंह सागर, डॉ. प्रेमचंद विश्वकर्मा, स्वप्निल उपाध्याय समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहें| संचालन संस्कार भारती काशी प्रांत के प्रांतीय प्रतिनिधि सुनील किशोर द्विवेदी ने किया|
1 comment:
पुन: श्रृद्धा सुमन अर्पित करता हूं।🙏
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