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Tuesday, June 14, 2022

हिंदू समाज ने अपनी शक्ति में बिखराव के कारण अपना लंबा समय संघर्षों में बिताया - डा.वीरेंद्र जी

 

चुनार (मीरजापुर)। अकबर का साथ देने वाले मानसिंह, पोरस का साथ देने वाला आंभी, शिवाजी के विरुद्ध मिर्जा राजा जयसिंह जैसे व्यक्ति हमारे ही समाज के थे जिनके कारण हम एक साथ एक दिशा में उठना, चलना भूल गए। हिंदू समाज अपनी इन्हीं शक्ति में बिखराव के कारण लंबा समय संघर्षों में बिताया। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र कार्यवाह डॉ वीरेंद्र जायसवाल ने व्यक्त किया। वे स्थानीय रामबाग में संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष (सामान्य) के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने आगे कहा कि अपना लक्ष्य राष्ट्र को परम वैभव पर पहुंचाने का है। इसी समाज के संगठन के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई। हिंदू समाज में पूज्यनीय राम और कृष्ण परम शक्तिशाली होते हुए भी वनवासी गिरीवासी अथवा अर्जुन रूपी समाज को अपना संघर्ष करने के लिए प्रेरित करते हैं। ज्ञान के क्षेत्र में भी भारत विश्व का अग्रणी राष्ट्र रहा है। हमारी परंपरा में मंगल को भुमि का पुत्र कहा गया है। मंगल भूमि के पुत्र है तो धरती के सारे गुण मंगल में होंगे। यह तथ्य हजारों वर्ष पहले सिद्ध किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि मृत्यु पर हमने अष्टांग योग के समाधि द्वारा विजय प्राप्त की है। आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र रसायन सभी ने भारत हजारों वर्षों से विश्व का सिरमौर रहा है। 250 वर्ष पूर्व तक भारत का विश्व व्यापार में योगदान 30% तक था। आज हिंदू साम्राज्य दिनोत्सव होने के उपलक्ष्य में डॉ वीरेंद्र जायसवाल जी ने शिवाजी का वर्णन करते हुए बताया कि भारतीय संस्कार से भरा हुआ बालक मात्र 14 वर्ष की अवस्था में 20 साथियों के साथ एक किले को जीत जाता है। कम संख्या में भी शत्रु का सामना करने के लिए छापामार युद्ध नीति का नवीन प्रयोग किया। अंग्रेजो के कालखंड में नई शिक्षा पद्धति लाई गई जिससे हम धीरे-धीरे मानसिक रूप से पराजित हो गए। इस देश को चरवाहों और सपेरों का देश बताया गया। संघ के संस्थापक परम पूजनीय डॉ. केशव राम हेडगेवार के विचार में आया कि समाज में जो बिखराव है उससे स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी राष्ट्र विखंडित हो जाएगा। राष्ट्र को एक साथ लाने के लिए शाखा प्रारंभ किया गया जिसका एकमात्र कार्य व्यक्ति में संस्कार का निर्माण करना है। अध्यक्षता करते हुए सेवानिवृत्त मेजर कृपाशंकर सिंह जी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र मे काफी पतन हुआ है। संघ के संगठन संस्कृत भारती द्वारा आजकल संस्कृत को वरीयता दी जा रही है, जो स्वागत योग्य कदम है। कार्यक्रम के प्रारंभ में ध्वजारोहण किया गया तत्पश्चात घोष के माध्यम से "ॐ नमोस्तुते ध्वजाय, सकल भुवन जन हिताय, विभव सहित विमल चरित, बोधकाय मंगलाय ते सततम" मंत्र से ध्वज की मान वंदना की गई। स्वयंसेवकों द्वारा किया गया  शारीरिक प्रशिक्षण का प्रदर्शन उपस्थितजनों के आकर्षण का केन्द्र रहा जिसमें दण्ड, पदविन्यास, दंडयुद्ध, नियुद्ध, घोष, सामूहिक समता, दण्ड व्यायाम योग, व्यायाम योग एवं आसन सम्मिलित रहा। इस दौरान मंचासीन काशी प्रांत के मा. सहप्रांत संघचालक अंगराज जी, मा. वर्गाधिकारी सच्चिदानंद जी रहें।

कार्यक्रम में पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक प्रमुख राजेंद्र जी, क्षेत्र ग्राम विकास प्रमुख चंद्र मोहन जी, काशी प्रांत प्रचारक रमेश जी, सह प्रांत प्रचारक मुनीष जी, प्रांत कार्यवाह मुरली पाल जी, प्रांत प्रचारक प्रमुख रामचंद्र जी, सह प्रांत कार्यवाह डॉ राकेश जी, प्रांत शारीरिक शिक्षण प्रमुख राजन जी, सह प्रांत शारीरिक शिक्षण प्रमुख राकेश अग्रहरी जी आदि बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहें। धन्यवाद ज्ञापन गौतम जी एवं वृत्त निवेदन वर्ग कार्यवाह कुलदीप जी ने दिया।




























1 comment:

Anonymous said...

भारत माता की जय