काशी/ देश की आजादी के दीवाने बड़े ही नहीं बच्चे
भी हुआ करते थे. बड़े लोग जहाँ आजादी की रणनीति बनाते थे, वहीँ बच्चे गांवों की
गलियों में दौड़-दौड़ वन्देमातरम का नारा लगते थे. बच्चों के इस जोश से दूसरे लोगों
को में भी देशभक्ति की अलख जगती थी. राजातालाब के शहंशाहपुर के लोग बताते है कि यहाँ
पर आजादी के लिए संघर्ष करने वालों की संख्या 50 से अधिक थी. गाँव के लोगों में
आजादी को लेकर एक जुनून हुआ करता था. शीघ्र स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए गाँव के युवा
उतावले थे. गाँव के लोग बताते है कि विभिन्न आंदोलनों के दौरान यहाँ के लोग पकड़े
भी गये है और उनको गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया है.
दिनभर वन्देमातरम का नारा लगते थे,
नाम पड़ गया बन्दे सिंह
गाँव के गिरजाशंकर सिंह बताते हैं कि बचपन में
हम लोग गाँव-गाँव गली-गली घुमकर 'वन्देमातरम' और 'भारत माता की जय' नारा लगाते थे.
इनमें विद्याशंकर सिंह भी थे, जो दिनभर जोर जोर वन्देमातरम का नारा लगाते रहते थे.
इसीलिए उनका नाम बन्दे सिंह पड़ गया.
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