युवा
क्रांतिकारी, देशप्रेमी बसंत कुमार बिस्वास ने महज 20 वर्ष की अल्पायु में ही देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी.
अंग्रेजी हुकुमत के पसीने छुड़ाने वाले बिस्वास ने अपनी जान हथेली पर रखकर वायसराय
लोर्ड होर्डिंग पर बम फेंका था.
06 फरवरी 1895 को
पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के पोरागाच्चा में जन्मे बिस्वास बंगाल के प्रमुख
क्रांतिकारी संगठन “युगांतर” के सदस्य थे. वायसराय लोर्ड होर्डिंग की हत्या की योजना
क्रांतिकारी रास बिहारी बोस ने बनाई थी और बम
फैंकने वालों में बसंत बिस्वास और मन्मथ बिस्वास प्रमुख थे. बसंत बिस्वास ने महिला
का वेश धारण किया और 23 दिसंबर, 1912 को, जब
कलकत्ता से दिल्ली राजधानी परिवर्तन के समय वायसराय लोर्ड होर्डिंग समारोहपूर्वक
दिल्ली में प्रवेश कर रहा था, तब
चांदनी चौक में उसके जुलूस पर बम फैंका, पर वह बच
गया.
इस कांड में 26 फरवरी, 1914 को बसंत को पुलिस ने पकड़ लिया. बसंत सहित अन्य
क्रांतिकारियों पर 23 मई, 1914 को “दिल्ली
षड्यंत्र केस” चलाया गया. बसंत को आजीवन कारावास की
सजा हुई, किन्तु शातिर अंग्रेज सरकार तो उन्हें फांसी देना चाहती थी.
इसीलिए उसने लाहौर हाईकोर्ट में अपील की और अंततः बसंत बिस्वास को बाल मुकुंद, अवध बिहारी व मास्टर अमीर चंद के साथ फांसी की सजा दी गयी.
जबकि रास बिहारी बोस गिरफ़्तारी से बचते हुए जापान पहुँच गए.
11 मई 1915 को पंजाब
की अम्बाला सेंट्रल जेल में इस युवा स्वतंत्रता सेनानी को मात्र 20 वर्ष की आयु में फांसी दे दी गयी. स्वतंत्रता संग्राम के
दौरान अत्यधिक छोटी उम्र में शहीद होने वालों में से बसंत बिस्वास भी एक हैं.
उनकी जन्मदिवस के अवसर पर हम सब शत शत नमन करते हैं.
श्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत
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