- काशी विभाग प्रचारक ने कहा कि वर्तमान संघ को युवा वर्ग ही आगे ले जाने में
सक्षम
- 19 नवंबर से 16 दिसंबर तक मनाया जाएगा आजादी का अमृत
महोत्सव
काशी| संघ में सम्पूर्ण समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक उत्थान का कार्य किया जाता है, जिसके लिए संपूर्ण समाज का सहयोग लिया जाता है, इसलिए “संघे शक्ति कलियुगे” कहा जाता है। उक्त
विचार काशी उत्तर भाग के सारनाथ (गौतम नगर) में विजयदशमी उत्सव एवं संघ स्थापना
दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में काशी प्रांत प्रचारक रमेश जी ने व्यक्त
किया|
शुक्रवार को
विजयादशमी उत्सव पर काशी संघमय रहा| काशी विभाग के स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में
सभी जिलों के समस्त नगर एवं शाखाओं पर विजयादशमी उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया| काशी
उत्तर भाग के गौतम नगर में स्वयंसेवकों को विजयादशमी का महत्व समझाते हुए काशी प्रांत
प्रचारक रमेश जी ने आगे कहा कि विजयादशमी मात्र शुभकामनाओं का पर्व मात्र नहीं है।
विजयादशमी का विशेष महत्व है| विजय के इस दिन जिस कार्य को शुरू किया जाता है,
उसमें अवश्य विजय मिलती है| इसी महत्व को केंद्र में रख कर विजयादशमी के दिन 27 सितंबर 1925 को परमपूज्य सरसंघचालक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार
जी ने राष्ट्र में देशभक्ति के लिए प्रचंड-प्रखर प्रवाह हेतु राष्ट्रहित में एक
चिंतन मनन कर्तव्यनिष्ठ तथा ध्येयनिष्ठ संस्था की स्थापना किया है, जिसे हम सभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रूप
में जानते हैं । ऐसा कहते हैं कि द्वापर में प्रभु श्रीकृष्ण, त्रेता में प्रभु श्रीराम, अब कलयुग में केशव बलिराम का अवतरण समग्र समाज
में एवं जनमानस में राष्ट्रभक्ति जागृति करने के लिए हुआ है। उन्होंने कहा कि संघ
आज 96 वर्ष का हो गया
है और अनंत तक चलता ही रहेगा, क्योंकि इसका मंत्र ही है “चरैवेति चरैवेति”। राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ का उद्भव संपूर्ण समाज को सांस्कृतिक एवं जागृत करने के लिए हुआ है, इसका उद्देश्य भारतवर्ष को परम वैभव पर ले जाना
है।
हमारे इतिहास के ग्रंथों
में जैसा होना चाहिए था वैसा नहीं है
असत्य पर सत्य
के एवं बुराई पर अच्छाई के विजय का प्रतीक यह महापर्व समग्र भारतवर्ष में मनाया जा
रहा है| जहां हम सभी सनातनी बंधुओं ने देश के अंदर व्याप्त बुराइयों
को समाप्त करने, सामाजिक कलह- विद्वेष को दूर करने, जातीय भेदभाव को हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त करने
एवं सामाजिक समरसता को स्थापित करने के लिए पूरे देशवासियों ने शक्ति की उपासना की
है वहीं दूसरी ओर पूरे भारत में एक असत्य का मायाजाल बुना जा रहा है| देश की आजादी
में सभी क्षेत्रों, समूह, वर्गों का सहयोग रहा है किंतु विडंबना यह रही है की एक
विशेष दृष्टि से लिखे गए इतिहास के अध्याय में उन सभी समूहों, व्यक्तियों का बौद्धिक जैसा हमारे इतिहास के
ग्रंथों में होना चाहिए था वैसा नहीं है। स्वातंत्र्यवीर वीर विनायक सावरकर को
इतिहास में एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में परिचित नहीं कराया जाता है बल्कि
संकीर्ण संकुचित मानसिकता का परिचय देते हुए उन्हें अंग्रेजो के दलाल के रूप में प्रस्तुत
किया जाता है। यदि वास्तव में सावरकर ऐसे होते तो काला पानी कहे जाने वाले अंडमान
निकोबार के उन काल कोठरीयो में मोटे-मोटे लोहे के जंजीरों में उन्हें बांधकर नहीं
रखा गया होता।
स्वतंत्रता
संग्राम में रानी दुर्गाबाई, महान वीरांगना काशी पुत्री रानी लक्ष्मीबाई का योगदान
अविस्मरणीय है, किंतु यह विचार का विषय है कि क्या उन्हें इतिहास के पुस्तकों में उचित स्थान
प्राप्त हुआ है।
स्वतंत्रता
संग्राम में चाफेकर बंधुओं का योगदान साहस भरता है, किंतु आज के युवाओं को उनके जैसे महान
स्वतंत्रता सेनानियों के विषय में बहुत कम ही सूचना प्राप्त होती है। आदिवासियों से
लेकर स्वतंत्रता संग्राम को एक अलग आयाम देने का कार्य करने वाले वीर स्वतंत्रा
सेनानी बिरसा मुंडा का भी इतिहास में उल्लेख वैसा नहीं मिलता जैसा उनका व्यक्तित्व
रहा है।
महाराणा प्रताप, शिवाजी के महान विराट व्यक्तित्व को उपयुक्त
स्थान तो मिला ही नहीं साथ ही इन अधर्मी इतिहासकारों ने वीर शिवाजी को पहाड़ी चूहा
तक कह दिया| शिवाजी को राष्ट्र निर्माण में अद्वितीय योगदान के लिए इतिहास की
दृष्टि से पुनः व्याख्यायित करने की आवश्यकता है। शिवाजी के संगठन कौशल से प्रेरणा
लेकर बाल केशव ने अपने प्रारंभिक जीवन काल में विद्यालय स्तर पर बालको को संगठित करके अंग्रेजों के विरुद्ध
वंदे मातरम का जयघोष कराया था| उस समय अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता की मांग के
लिए यह बीजपन का कार्य करता था। डॉक्टर साहब का यह क्रांतिकारी स्वभाव आगे के जीवन
में भी चलता रहा| मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद स्वहित को त्याग कर राष्ट्रहित को
सर्वोपरि रखा और अपने डॉक्टरी के ज्ञान के माध्यम से धनोपार्जन की तुलना में
उन्होंने एक संत सन्यासी का मार्ग चुना और राष्ट्रहित में कार्य करने का निश्चय
किया। 1925 में संघ की
स्थापना के बाद से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़ा और
आजादी को नई दिशा प्रदान की|
यह वर्ष एक
विशेष प्रकार का वर्ष है। स्वाधीनता का 75 वां वर्ष है, जिसे पूरा देश हर्षोल्लास के साथ मना रहा है
वर्षों से चली आ रही गुलामी की जंजीरों को क्रांतिकारियों ने 15 अगस्त 1947 को तोड़ दिया| इसी पावन दिवस को इस वर्ष 75 वर्ष होने के अवसर पर पूरे भारत में सभी
देशवासी हर्षोल्लास के साथ अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं।
19 नवंबर से 16 दिसंबर तक मनाया जाएगा आजादी का अमृत
महोत्सव
उन्होंने बताया
कि इस वर्ष आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर संपूर्ण देश में क्षेत्र से लेकर
प्रांत तक, नगर-खंड से लेकर ब्लॉक तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आजादी का अमृत
महोत्सव मनाने का कार्यक्रम रखा है| मातृशक्ति वीरांगना काशी की पुत्री स्वतंत्रता
सेनानी रानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिन 19 नवंबर से प्रारंभ कर सैन्य बलों के सम्मान में
भारत के वीरों के शौर्य दिवस 16 दिसंबर तक आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जाएगा। कार्यक्रम
की अध्यक्षता कर रहे प्रदीप कुमार जी ने कहा कि देश को आत्ममंथन की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रवाद के द्वारा राष्ट्र को पोषित करने का कार्य
करता है।
कार्यक्रम में
गौतम नगर संघचालक नंदलाल जी, भाग कार्यवाह डॉ आशीष, राजेश विश्वकर्मा, भाग प्रचारक रजत प्रताप, राहुल, अमित, विष्णु नारायण, विजय, राहुल, रजनीश, विनोद, हरिशंकर, पवन, सौरभ सहित सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवक व
गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम में एकल गीत शशांक एवं अमृत वचन विजय द्वारा
प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन गौतम नगर कार्यवाह राहुल ने किया।
इसी क्रम में रविदास
नगर के लाटभैरव शाखा के स्वयंसेवकों ने संघ स्थान पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
स्थापना दिवस, विजया दशमी उत्सव व शस्त्र पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया। चेतसिंह नगर में
बौद्धिक लाजपत नगर मा. संघचालक डॉ गंगाधर जी ने दिया| प्रेमचंद नगर में शिवाजी
शाखा पर स्वयंसेवको ने संचलन किया| कार्यक्रम में बौद्धिक प्रान्त धर्म जागरण
प्रमुख गुलाब जी का हुआ| इसके साथ ही विशेश्वर नगर में राकेश अग्रहरि जी (प्रांत
सह शारीरिक शिक्षण प्रमुख), भारतेंदु नगर में श्याम जी (प्रांत कार्यालय प्रमुख), बागेश्वरी नगर में बृज श्याम जी (भाग
विद्यार्थी बौद्धिक शिक्षण प्रमुख), लाजपत नगर में मुरली जी, तिलक नगर में दीनदयाल जी (प्रांत संपर्क प्रमुख), शिव नगर में डॉ. राजेंद्र पांडे (विभाग कुटुंब
प्रबोधन प्रमुख), राजर्षि नगर में जितेंद्र जी (विभाग धर्म जागरण संयोजक), कपिल नगर में
रमेश जी (भाग कुटुंब प्रबोधन प्रमुख) ने अपने विचार रखा|
इन दौरान
कार्यक्रमों में काशी के हजारों स्वयंसेवक एवं समाज के बन्धु-भगिनी ने सहभागिता की
और कार्यक्रम को सफल बनाया।
काशी दक्षिण : वर्तमान संघ को युवा वर्ग ही आगे ले जाने में सक्षम – विभाग
प्रचारक
काशी दक्षिण भाग
में भी स्वयंसेवकों ने स्थापना दिवस एवं विजयादशमी
उत्सव उल्लास पूर्वक मनाया| भाग प्रचार प्रमुख रवि ने बताया कि कोविड काल के कारण उत्सव केंद्रीय ना होकर नगर सह हुआ| सभी 12 नगरों में प्रातः पूर्ण गणवेश में
स्वयंसेवको का एकत्रीकरण हुआ| तत्पश्चात शस्त्र पूजन किया गया|
घोष की ध्वनि पर अलग अलग मार्गो से पथ संचलन भी
निकाला गया| रामनगर एवं मालवीय नगर में
विभाग कार्यवाह त्रिलोक जी ने संघ स्थापना के कारणों तथा वर्तमान परिवेश में संघ
के कार्य प्रणाली को बताया| उन्होंने कहा कि श्रीराम के जीवन से शिक्षा लेकर के समस्त हिंदू
समाज के निर्माण और समर्थ संगठन के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। श्रीराम का
व्यक्तित्व तमाम झंझावातो के परे साम्य और पूर्ण था। समान भाव का हमारे अंदर
प्रस्फुटन होना आवश्यक है। श्रीराम ने जो समय वन में व्यतीत किया, उस समय उन्होंने
समाज का संगठन किया और दुष्ट शक्तियों को पराजित कर बुराई पर अच्छाई की जीत के
सास्वत सिद्धांत को प्रतिस्थापित किया। उन्होंने कहा कि आज ही पूजनीय डॉक्टर साहब ने संघ की स्थापना कि
हमारा यह संगठन भी समाज को जोड़ने और व्यक्तियों के व्यक्तित्व विकास के लिए है।
इस उत्सव के अवसर पर मा. भाग संघचालक डॉ सुनील जी, सह नगर संघचालक प्रो. हेमंत मालवीय जी, भाग कार्यवाह रामकुमार जी, समरसता प्रमुख
हरिराम जी तथा पर्यावरण संयोजक डॉ विनोद जी उपस्थित रहे। मानस नगर में काशी विभाग प्रचारक कृष्णचन्द्र जी ने अपने बौद्धिक में कहा कि संघ
को शताब्दी वर्ष मनाना ही नहीं था| उन्होंने कहा कि वर्तमान संघ को युवा वर्ग ही
आगे ले जाने में सक्षम हैं|
माधव नगर के मुंशी प्रेमचन्द्र पार्क में बौद्धिक
प्रान्त सहकार्यवाह मा. राकेश जी का रहा। उन्होंने संघ कि स्थापना और संघ के
उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज संघ का उत्सव ही नहीं अपितु
मुल्यांकन का दिवस भी है कि हम सामाज को परम वैभव तक ले जाने में कितने सफल हुये?
कहाँ कमियों को ठीक करने कि आवश्यकता हैं? कार्यक्रम में मा. नगर संघचालक दशरथ जी, नगर कार्यवाह कृष्णमोहन जी व अन्य स्वयंसेवक बंधु उपस्थित रहे। गंगा नगर में
स्वयंसेवकों ने पथ संचलन कर एकता और अनुशासन का परिचय दिया| कार्यक्रम में बौद्धिक
धर्मवीर त्रिपाठी जी का था|