संस्कार भारती के
अखिल भारतीय संगठन महामंत्री अमीरचंद जी नहीं रहे। संस्कार भारती के माध्यम से पूर
देश के कलाकारों की प्रतिभा को निखारने वाले श्री अमीरचंद जी का शनिवार सायं (16 अक्टूबर) लगभग छह बजे तवांग (अरुणाचल
प्रदेश) में निधन हो गया।
शनिवार सायं लगभग
सात बजे दिल्ली स्थित संस्कार भारती कार्यालय में एक फोन आया। फोन करने वाले ने
बहुत मुश्किल से बताया कि भाई साहब यानि अमीरचंद जी नहीं रहे। इसके अलावा वह कुछ
नहीं बता पाया। यह संदेश सुनने वाला भी सदमे में चला गया। कुछ देर बाद उसने होश
संभाला और संस्कार भारती के अन्य अधिकारियों और कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को यह खबर
दी। इसके बाद तो तवांग से लेकर कोलकाता और दिल्ली से लेकर मुम्बई तक सन्नाटा छा
गया। जिसने भी यह खबर सुनी वह जड़वत हो गया। किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि
एक जिंदादिल व्यक्ति इतनी जल्दी हम सबके बीच से चला जाएगा।
सांस लेने में हो रही थी दिक्कत
वे दिल्ली
से एक कार्यक्रम के लिए अरुणाचल प्रदेश गए थे। तवांग जाने के दौरान जसवंतगढ़, जो समुद्र तल से लगभग 14,000 फीट पर है, में उनका आक्सीजन स्तर अचानक घट गया।
सांस लेने में दिक्कत महसूस हुई तो कुछ ही देर में उन्हें नजदीकी आईटीबीपी के एक अस्पताल
में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों ने बहुत प्रयास किया, लेकिन
उन्हें बचाया नहीं जा सका।
उत्तर प्रदेश के बलिया निवासी
थे
अमीरचंद जी मूलत:
हनुमानगंज, बलिया (उ.प्र.)
के रहने वाले थे। 1981 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उनका
संपर्क हुआ और इसके बाद वे संघ के ही होकर रह गए। 1985 में प्रथम
वर्ष का प्रशिक्षण लेने के बाद वे प्रखंड विस्तारक के रूप में बलिया में संघ कार्य
करने लगे। फिर इसी वर्ष उन्हें तहसील प्रचारक का दायित्व देकर आजमगढ़ भेजा गया। 1987
में उन्हें संस्कार भारती, पूर्वी उत्तर
प्रदेश के संगठन सचिव का दायित्व दिया गया। इसके बाद से वे अब तक संस्कार भारती
में ही रहे और संगठन को एक नई पहचान दिलाई। संस्कार भारती में उन्होंने संगठन
मंत्री के रूप में बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली सहित अनेक राज्यों मेंं काम किया। 1997 से 2014
तक वे संस्कार भारती के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री रहे। 2018
में उन्हें अखिल भारतीय संगठन महामंत्री का दायित्व दिया गया था।
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