चंडीगढ़. हरियाणा
सरकार के सरकारी कर्मचारी अब बिना किसी आधिकारिक अवरोध के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
की गतिविधियों में भाग ले सकेंगे क्योंकि प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव के अधीन आने
वाले सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा सोमवार 11 अक्तूबर
को जारी सर्कुलर द्वारा वर्षों पहले सरकारी निर्देशों को वापिस ले लिया गया है, जिसका अर्थ है कि अब ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं होगा. पत्र में
उल्लेख है कि हरियाणा सिविल सेवा (सरकारी कर्मचारी आचरण) नियम, 2016 के नियम संख्या 9 और 10 की ही सरकारी अनुपालना सुनिश्चित की जाए. प्रदेश सरकार के
सरकारी कर्मचारियों द्वारा आर.एस.एस. की गतिविधियों में भाग लेने पर अनुशासनात्मक
कार्यवाही करने सम्बन्धी अप्रैल, 1980 में
तत्कालीन प्रदेश सरकार द्वारा जारी निर्देश अब तक लागू थे.
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अधिवक्ता हेमंत कुमार ने
बताया कि कुछ वर्ष पूर्व वह प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के सम्बन्ध में जारी
निर्देशों का अध्ययन कर रहे थे, तो
उन्हें 2 अप्रैल, 1980 को
तत्कालीन प्रदेश सरकार द्वारा जारी एक सरकारी पत्र मिला, जिसमें कर्मचारियों के आर.एस.एस. की गतिविधियों में भाग लेने
पर उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश को जारी रखने का पुन:
निर्देश दिया गया था.
हालांकि, सर्वप्रथम
11 जनवरी, 1967 को
तत्कालीन हरियाणा सरकार द्वारा जारी एक पत्र में राज्य के सरकारी कर्मचारियों के संघ की गतिविधियों में भाग लेने को
प्रतिबंधित किया गया था, चूँकि
राज्य सरकार ने पंजाब सरकारी कर्मचारी (आचार) नियमावली, 1966 (तब हरियाणा पर भी लागू) के नियम 5 (1) के तहत आर.एस.एस. को एक राजनीतिक संगठन माना था एवं इसकी
गतिविधियों में भाग लेने पर सरकारी
कर्मचरियों के विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए
थे. हालांकि, 4 मार्च, 1970 को एक अन्य सरकारी आदेश जारी कर तत्कालीन हरियाणा सरकार ने
उक्त कार्यवाही करने पर रोक लगा दी थी क्योंकि तब एक सम्बंधित मामला सर्वोच्च
न्यायालय में लंबित था. 2 अप्रैल, 1980 को जारी एक अन्य सरकारी पत्र में स्पष्ट किया गया कि सर्वोच्च
न्यायालय सम्बंधित मामले के लंबित होने के बावजूद हरियाणा में संघ की गतिविधियों
में भाग लेने पर सरकारी कर्मचारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने में
कोई रोक नहीं होगी.
हेमंत ने बताया कि वर्ष 1980 के
पश्चात भाजपा कई बार सहयोगी दल के रूप में हरियाणा की गठबंधन सरकारों में सत्ता में रही. परन्तु, संघ की गतिविधियों में
सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने सम्बन्धी प्रतिबन्ध
को क्यों नहीं हटवाया गया?
इसी सम्बन्ध में हेमंत ने ढाई वर्ष पूर्व 5 मार्च, 2019 को
हरियाणा के मुख्य सचिव कार्यालय के सामान्य प्रशासन विभाग में एक आरटीआई याचिका
दायर कर सूचना मांगी. पहले बिंदु के जवाब में उन्हें हरियाणा सरकार द्वारा वर्ष 1967, 1970 और 1980 में जारी सरकारी पत्रों की प्रतियां प्रदान की गईं और इसके
साथ-साथ हरियाणा सिविल सेवा (सरकारी कर्मचारी आचरण) नियम, 2016 के नियम संख्या 9 और 10 का भी हवाला दिया गया था.
हेमंत का मानना है कि अक्तूबर, 2014 में
हरियाणा में भाजपा सरकार बनते ही सरकारी कर्मचारियों के आर.एस.एस. ज्वाइन करने
सम्बन्धी प्रतिबन्ध के निर्देश को तुरंत वापिस लिया जाना चाहिए था. वैसे भी वर्ष 1967, 1970, 1980 में जारी पत्रों में आर.आर.एस को
जमात-ए-इस्लामी के साथ जोड़ कर दर्शाया गया है जो सर्वथा अनुचित है.
कई बार हरियाणा के मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित
अन्य लोगों को पत्र लिखे, अब जाकर
उक्त तीनों पत्रों द्वारा जारी सरकारी हिदायतों को हरियाणा सरकार ने वापिस ले लिया
है.
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