WELCOME

VSK KASHI
63 MADHAV MARKET
LANKA VARANASI
(U.P.)

Total Pageviews

86363

Monday, October 26, 2020

एफएटीएफ ने आतंकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा, 6 प्रमुख कार्ययोजनाएं नहीं की पूरी

 

दुनियाभर में आतंक फैलाने और टेरर फंडिंग, मनीलांड्रिंग के डर्टी गेम में लिप्त पाकिस्तान की फितरत से कोई भी अनजान नहीं है. विश्व में अराजकता, अमानवीय हिंसा, अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न, भुखमरी और लोकतंत्र विरोधी चाल-चरित्र सबके समक्ष है. अपने पैदा होने के समय से ही पाकिस्तान लगातार भारत विरोधी अभियान में जुट गया था और उसके द्वारा सीमा पार से संचालित, पोषित आतंक की कलुषित गाथा सबके सामने है.

आजादी के 7 दशक बाद भी पाकिस्तान के नागरिकों को जीवन की मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं. अमेरिका ने जब देखा कि जो पाकिस्तान उसकी कृपा और भीख पर पल रहा है, वही इस्लाम और जिहाद के नाम पर वैश्विक आतंकवाद को फैलाकर रहा है. जब अमेरिका ने आतंक के पर्याय पाकिस्तान का गिरगिट चरित्र देखा तो उसे भीख देनी बंद कर दी. आतंकी मजहब के पक्षधर पाकिस्तान को मौसम और मिजाज के हिसाब से आका ढूंढने का शौक रहा है, इसलिए दुनिया की आंख की किरकिरी बना विस्तारवादी चीन और इस्लाम के नाम पर जिहाद के समर्थक तुर्की और मलेशिया ही पाकिस्तान के सहारे हैं. चीन ने कर्जा देकर उसे गुलाम बना दिया है तो तुर्की से आस पालने के अलावा उसके पास और कोई चारा नहीं है. सऊदी अरब ने अब तेल और राशन सब बंद कर दिया.

फाइनेंशिल एक्शन टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को वैश्विक आतंक के सहयोग और वित्त पोषण के लिए जून, 2018 में ग्रे सूची में डाल दिया था. पाकिस्तान को सुधरने का अवसर दिया, आतंक पर अंकुश लगाने के लिए कहा और देश में पल रहे आतंकी संगठनों व उनके आकाओं को सरकारी संरक्षण न देने की चेतवानी दी थी. फरवरी-2020 में भी एफएटीएफ ने कहा था कि पाकिस्तान 27 मापदंडों में से सिर्फ 14 मापदंडों पर खरा उतरा है. सितंबर में मनीलॉन्ड्रिंग और चरमपंथ को फंड रोकने के मकसद से पाकिस्तान की संसद में कुछ बिल और संशोधन पास किए गए, लेकिन नौटंकी, दिखावे और लीपापोती के सिवा आतंक के आकाओं ने कुछ भी नहीं किया.

सऊदी अरब के बल पर आतंकवादियों के सहयोग और सेना की कृपा से पाकिस्‍तान की सत्ता पर बैठे प्रधानमंत्री इमरान खान नियाजी ने हवाई वादे और खोखली घोषणाएं कीं, लेकिन आतंकवाद के एक्सपोर्ट में कोई कमी नहीं की. एक ओर चीन के साथ जोड़ी बनाकर भारत में आतंकवाद को बढ़ाने की कलुषित मानसिकता पाल रखी है तो दूसरी ओर तुर्की और पाकिस्‍तान की यह नापाक जोड़ी अजरबैजान के साथ आ गई है और आर्मीनिया में अपने सीरियाई आतंकियों के बल पर बेहद क्रूर तरीके से जंग लड़ रही है.

एफएटीएफ की काली सूची से बचने के लिए बड़बोले इमरान ने अमेरिका को साधने के लिए अमेरिकी लॉबिंग कंपनियों की मदद ली. लेकिन पेरिस में हुई एफएटीएफ की बैठक में चीन, तुर्की और मलेशिया भी पाकिस्तान के काम नहीं आ पाए .एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को फरवरी 2021 तक के लिए ग्रे लिस्‍ट में बरकरार रखा है. मौकापरस्त पाकिस्‍तान को उसके मौसमी दोस्‍तोंने ही धोखा दे दिया. इससे शर्मनाक और क्या होगा कि एफएटीएफ के 39 सदस्‍यों में से केवल एक तुर्की ने ही आतंकिस्तन को ग्रे लिस्‍ट से निकालने का समर्थन किया. कोई नाक वाला देश होता तो ऐसी करारी शिकस्‍त से कुछ सीखता, लेकिन बेशर्म पर कोई असर नहीं पड़ता. जून माह में बैठक प्रस्तावित थी, पर अक्तूबर तक टल गई. पांच महीनों का लाभ उठाया जा सकता था, लेकिन नीयत सही न हो तो कोई लाभ नहीं.

एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान ने आज तक हमारी 27 कार्ययोजनाओं में से प्रमुख छह को पूरा नहीं किय़ा है. अब इसे पूरा करने की समयसीमा खत्म हो गई है. इसलिए, एफएटीएफ 2021 तक पाकिस्तान से सभी कार्ययोजनाओं को पूरा करने का अनुरोध करता है. इसके साथ ही पाकिस्तान की बदनीयत और उदासी पर कहा कि नामित करने वाले चार देश-अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी पाकिस्तान की सरजमीं से गतिविधियां चला रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की उसकी प्रतिबद्धता से संतुष्ट नहीं हैं.

ग्रे लिस्ट में बरकरार रहने से पाकिस्तान को मिलने वाले विदेशी निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ने के साथ ही उसके आयात, निर्यात और आईएमएफ़ व एडीबी जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज लेने की क्षमता भी प्रभावित होगी. ई-कॉमर्स और डिजिटल फाइनेंसिंग के लिए भी गंभीर बाधा बनी रहेगी. आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के एजेंडे के साथ तो कोई भीख के कटोरे में भी कुछ नहीं डालेगा. अब ये पाकिस्तान को तय करना है कि उसे चीन और तुर्की की कठपुतली बनकर अपने देश के लोगों का जीवन नरक बनाना है या लोकतांत्रिक मूल्यों और वैश्विक बंधुत्व व सहयोग भाव को अपनाकर दुर्दांत देश की संज्ञा के बदले आगे बढ़ना है.

श्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत

No comments: