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Saturday, June 6, 2020

अतीत में भारत का आर्थिक व व्यावसायिक प्रभाव पूरे विश्व मे था- नरेन्द्र सिंह


जून 2020, विश्व संवाद केंद्र, काशी द्वारा आयोजित वेब-संवाद     
चीन नकली माल की असली दूकान है।
सिल्क रूट चीन का नही भारत का उत्तरापथ था।यह भारत का व्यावसायिक व सांस्कृतिक परिक्षेत्र था।
आज भी भारत आत्मनिर्भरता के साथ विश्व का मार्ग प्रशस्त करने में समर्थ है।

चीन के समस्त दावे सच्चाई से परे केवल एक मिथक मात्र है।पूरी दुनिया चीन से आजिज आ गई है। यह गैर जिम्मेदार देश है ।वायरस भेजकर पूरी दुनिया को तबाह कर दिया है। इसने दुनिया को धोखा दिया है तथा पड़ोसियों की सीमा को लांघता जा रहा है। ऐसे विस्तार वादी देश से पूरी दुनिया को सतर्क रहने की जरूरत है।
यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्वी उ.प्र. क्षेत्र के क्षेत्र प्रचार प्रमुख नरेंद्र जी ने आज व्यक्त किया। वह विश्व संवाद केंद्र काशी द्वारा आयोजित  वेव संवाद में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।' महाशक्ति, आर्थिक विकास और चीन के मिथक 'विषय पर अपने सारगर्भित उद्बोधन में  नरेंद्र जी ने आगे कहा कि कोरोना महामारी ने चीन की   पोल खोल दी है। महामारी के दौर में भी उसने विश्व की मदद करने के स्थान पर सब को ठगने का प्रयास किया ।अपने मित्र पाकिस्तान को भी उसने नहीं बख्शा।
जबकि दूसरी ओर भारत ने पूरी दुनिया की दिल खोलकर मदद की। हमने धन नहीं जन को वरीयता दी। चीन नकली माल की असली दुकान है।
चीन समर्थक तत्वो पर तीखाकटाक्ष करते हुए उन्होंने आगे कहा कि भारत में रहने वाले कुछ लोग अभी भी चीन का गुणगान करने से पीछे नहीं है ।पानी चीन में बरसता है तो ऐसे लोग छाता भारत में लगाते हैं। आज मार्क्स का दर्शन विफल हो चुका है। पूरी दुनिया साम्यवाद से तोबा कर रही है ।

उन्होंने कहा कि कुछ साम्यवादी तत्वों ने सुनियोजित ढंग से भारत को एक पिछड़ा देश हमेशा बताया। जबकि चीन का क्षेत्रफल भारत से तीन गुना है, फिर भी भारत के पास चीन से बहुत अधिक कृषि योग्य भूमि है। पराधीनता के काल मे भी भारत विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक देश था और सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था थी।
एक विदेशी इतिहासकार अगस् मेंडनीस ने लिखा है कि भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था प्राचीन काल से ही रहा है ।चीन दूसरे नंबर पर था। परतंत्रता काल में भी भारत की अर्थव्यवस्था श्रेष्ठ थी 1750 में बेल्जियम के अर्थशास्त्री "पाल वैरोक" ने लिखा कि सकल घरेलू उत्पाद में भारत का हिस्सा 25% था जो बाद में घटता गया।   भारत सूती वस्त्रों का सबसे बड़ा निर्यातक था। लोग सोना देकर वस्त्र ले जाते थे। इसीलिए इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था।भारत नाविकों का देश  था। नाव के द्वारा विदेशों में यहां से व्यापार होते थे ।बड़े बड़े बंदरगाहो पर भारत का कब्जा था। अकेले रोम से प्रतिवर्ष 5000 करोड़ की स्वर्ण मुद्रा भारत को व्यापार के मुनाफे के रूप मेंमिलती थी
आज का चीनी सिल्क रोड एक बहुत बड़ा मिथक है।इस पूरे क्षेत्र पर भारतीय व्यवसायियों का आधिपत्य व भारतीय संस्कृति का प्रभाव था। यह भारत की वैश्विक व्यापार व्यवस्था में 'उत्तरापथ' के नाम से विख्यात था।
भारत की वैश्विक व्यापार व्यवस्था मार्गो में बटी थी,उत्तरी राज मार्ग दक्षिणी राज मार्ग  और केंद्रीय राजमार्गअर्थात उत्तरापथ, दक्षिण पथ और केन्द्र पथ नाम से जाने जाते थे। महापथ,वणिक पथ और राजपथ,ये तीन श्रेणियों में संचालित होता था।

भारत ने किसी की भाषा संस्कृति नष्ट नहीं की। पाली ग्रंथों में भारत की श्रेष्ठता का वर्णन मिलता है ।हमारा अतीत गौरवशाली था ।भारत हमेशा से विश्व का मार्गदर्शन करता हुआ आया है यह सामर्थ्य उसमें अभी भी है ।
उन्होंने देशवासियों का आह्वान किया कि वे चीनी उत्पाद का बहिष्कार करें ,चीन स्वयं खत्म हो जाएगा ।जब देश आत्म विश्वास के साथ खड़ा हो जाएगा तब चीन अपनी औकात में आ जाएगा। चीन से मिल रही चुनौती को पूरी मजबूती के साथ हॉरर भारतवासी को स्वीकार करनी होगी      उन्होंने डंके की चोट पर कहा कि चीन का महा शक्ति होने का दावा मिथक मात्र है ,इसे तोड़ने की जरूरत है ।चीन साम्राज्यवादी विस्तार वादी और शोषणकारी है। इसने 3600000 वर्ग किलोमीटर पड़ोसियों का हड़प लिया है। तिब्बत ,सीक्याग, मंचूरिया हांगकांग पर अवैध कब्जा कर लिया है ।गांव के गुंडे की तरह चीन व्यवहार कर रहा है। भारत इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। विषय प्रवर्तन प्रांत प्रचार प्रमुख डॉक्टर मुरारजी त्रिपाठी  तथा  कुशल संचालन सह प्रांत प्रचार प्रमुख अंबरीश कुमार ने किया ‌। काशी विद्यापीठ के पत्रकारिता संस्थान के निदेशक प्रोफ़ेसर ओमप्रकाश सिंह, स्वतंत्र पत्रकार अत्रि भारद्वाज,प्रांत के सोशल मीडिया प्रभारी चारु मित्र, अमित गुप्ता समेत अन्य बुद्धिजीवियो ने बड़ी संख्या में प्रतिभाग किया।

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