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Monday, January 18, 2021

माता शबरी की तरह इस समय की प्रतीक्षा में वर्षों से निधि संग्रह कर रहीं थीं, निधि समर्पण अभियान में किया समर्पण

सोनभद्र / रविवार को काशी प्रान्त के सोनभद्र जिले में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान में माता शबरी का रूप देखने को मिला. अभियान हेतु जन जागरण कार्यक्रम में उस समय भावुक कर देने वाला क्षण उत्पन्न हो गया जब एक महिला ने विवादित ढांचा विध्वंस के समय से अपने घर में दानपात्र बनाकर श्रीराम मंदिर के लिए एकत्र कर रही अपनी श्रद्धारुपी धनराशि को निधि समर्पण हेतु जनजागरण करने वाले कार्यकर्ताओं को सौंपा.

सोनभद्र नगर (काशी प्रान्त) में सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा जनजागरण अभियान में सुबह प्रभात फेरी का कार्यक्रम चलाया जा रहा था. श्रीराम नाम धुन जपते हुए स्वयंसेवक कार्यकर्ता गली-गली प्रभात फेरी लगा रहे थे. उसी समय एक महिला उनसे मिली. कायकर्ताओं ने बताया कि उक्त महिला की  जितनी महिमा गाई जा सके कम है, महिला की तुलना माता शबरी से करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह माता शबरी भगवान श्रीराम के इंतजार में बेर इकट्ठा करती रही उसी तरह माता श्रीमती सीता देवी ने भी 6 दिसंबर 1992 से एक-एक रुपए का सिक्का जुटाकर मंदिर निर्माण के लिए धनराशि समर्पित करने का संकल्प लिया था, वार्ता के दौरान उन्होंने बताया सुबह जब प्रभात फेरी करने वाले लोग उनके घर के सामने से निकल रहे थे तब महिला ने प्रभात फेरी करने वाले स्वयंसेवकों से अपने द्वारा संकल्पित धनराशि को ले लेने का आग्रह किया.

प्रभात फेरी के दौरान कार्यकर्तागण श्रीमती सीतादेवी पत्नी रामनिहोर केशरी के दुकान पर पहुंचे, जो कि छोटी सी मिट्टी के बर्तन दीपक आदि की दुकान थी जिसमें बिक्री हेतु सामान भी बहुत कम धनराशि का था, तब उन्होंने अपनी संकल्पित धनराशि को ले आने के लिए अपने बच्चे को कहा तो दो लोग मिलकर उस धनराशि को लेकर के आए जो एक रुपए और 2 रुपये के सिक्कों में थे। उन्होंने कहा कि जिस दिन ढांचा गिरा उस दिन मन में यह विश्वास उत्पन्न हो गया की मेरे जीते जी मंदिर अवश्य बनेगा और वह प्रत्येक दिन एक रुपए 2 रुपये का सिक्का मंदिर निर्माण के सहयोग धनराशि के रूप में इकट्ठा करने लगी कभी कभी बिक्री न होने पर शेष रह जाता था. लगभग 9300 रुपए इकट्ठे हो चुके थे शेष धनराशि उनके पुत्र उमेश कुमार केसरी ने मिलाकर 11000 की धनराशि समर्पित किया. उनका यह भी कहना था कि उनका संकल्प था कि यदि उनके जीवन काल में मंदिर निर्माण चालू नहीं हुआ तो जब भी मंदिर निर्माण शुरू होगा उनकी आने वाली पीढ़ी इसी भाँति धन संग्रहित कर मंदिर निर्माण करने हेतु समर्पित करेंगे कलयुग में भी माता शबरी का दर्शन साक्षात होगा, ऐसा केवल रामकाज में ही संभव था वह सभी लोग अत्यंत भाग्यशाली थे जिनको ऐसी माता का आज निधि समर्पण के दौरान अद्भुत स्वरूप देखने को मिला।

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