कच्छ..
रघु जुसब कोली, बालजी जुसब कोली, कल्पेश इब्राहीम कोली, आयशा
इब्राहीम कोली… ये नाम पढ़कर आपको इनके बारे में जानने
की जिज्ञासा होगी, कि ये
कौन हैं, क्या विशेषता है? तो आइये
इनके बारे में आपको इनसे जुड़ी प्रेरक घटना के बारे में बताते हैं….
20 जनवरी, 2021 भुज
विश्वविद्यालय के समीप हरीपर गांव में पूर्व नियोजित कार्यक्रम अनुसार स्वयंसेवक
गांव में घर-घर निधि समर्पण अभियान के निमित्त संपर्क कर रहे थे. शाम होते ही
अंधेरा फैलने लगा गांव के अन्य रामसेवकों ने कहा कि गांव के सभी घरों स संपर्क हो
चुका है. तभी गांव के छोर पर एक मस्जिद के बगल में दो कुटिया नजर आईं, मैंने कहा चलो चलते हैं. मेरे साथ आए स्थानीय युवक ने मुझे
कहा, वहां जाना उचित नहीं है, मैंने
कहा चलो देखें क्या है?
उसके बाद जो हुआ वो रोमांचित करने वाला है…..
हमारे जय श्री राम कहने के साथ ही एक वृद्ध माता जी ने जय
श्री राम बोलकर उत्तर दिया और बोली कि जैसे माँ शबरी राम के आगमन की प्रतीक्षा कर
रही थी, उसी प्रकार मैं भी रामभक्तों के आगमन की प्रतीक्षा कर रही थी.
फिर हमने श्री राम मंदिर निर्माण के विषय में चर्चा की….तब उनकी प्रसन्नता के जो भाव थे, उसे वर्णित करने में निःसंदेह शब्द पूरक नहीं होंगे…
उन्होंने कहा कि हमारे घर तक मंदिर के लिए कोई समर्पण लेने
आया हो, उनमें आप प्रथम हैं. हमे आनंद इस बात का है कि आप ने हमें
अपना समझा है. जैसे भगवान राम ने शबरी के बेर खाए तो उससे माता शबरी को जो खुशी
मिली, उतनी ही खुषी आज मुझे हो रही है. अनायास ही मैं उनसे पूछ बैठा, आप हिन्दू धर्म के विषय में इतना जानते हैं तो फिर ये
इस्लामिक नाम क्यों? तो उनका
उत्तर था – हमारे पूर्वजों ने गलती की है, उसका हमें खेद है. उसके बाद दूसरी बातें हुई जो रोमांचित करने
वाली थीं, अंत में मैंने निधि समर्पण की चर्चा की.
तो उनके घर में जितने भी सदस्य थे, उन सभी के नाम पर 200-200 रुपये
समर्पण राशि देने की बात कही. मैंने कहा कि घर एक है तो एक साथ ही रसीद काट देते
हैं तो उनका उत्तर रोमांचित करने वाला था. उन्होंने कहा कि “हम तो आप के साथ आज तक नहीं जुड़ सके, लेकिन ये छोटी उम्र के बच्चे हिन्दू धर्म के साथ जुड़े रहें और
श्री राम के प्रति उनका भाव जुड़े यह महत्वपूर्ण है.
वृद्ध आयशा बहन के शब्दों को सुनकर हम सभी स्वयंसेवक रोमांचित
हो गए और अन्त में दोबारा मिलने के आश्वासन के साथ जय श्री राम कहकर विदा ली.
हीरपर शाखा, कार्यकर्त्ता, भुज (कच्छ)
- विश्व संवाद केन्द्र, भारत
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