कोरोना की चुनौती के पश्चात आत्मनिर्भरता – स्वरोजगार – कौशल विकास को बनाएंगे समाज का आंदोलन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं विविध संगठनों में कार्य करने
वाले कार्यकर्ताओं की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक 05 से 07 जनवरी तक कर्णावती
यूनिवर्सिटी, गांधीनगर में संपन्न हुई.
बैठक के अंतिम दिन आयोजित पत्रकार परिषद में राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने बताया कि कोरोना काल में
देशभर में विविध संगठनों ने समय की आवश्यकता के अनुसार अनेक प्रकार के सेवाकार्य
किये, समन्वय बैठक में
उनकी जानकारी दी गई. कोरोना काल में स्कूल बंद होने के कारण से विद्यार्थियों
की पढ़ाई प्रभावित हुई थी, उनके शिक्षण की समुचित योजना बनाई गई थी. देश में
विद्यार्थी परिषद ने मोहल्ला पाठशाला एवं ऑनलाइन माध्यम से लगभग 10,000 स्थानों पर बच्चों
को पढ़ाने की व्यवस्था की. हजारों अन्य स्थानों पर हजारों आध्यापक इस कार्य में
अतिरिक्त समय देकर लगे, इसके अलावा हजारों कार्यकर्ताओं ने छोटे-छोटे समूहों में भी
बच्चों को शिक्षा देने का कार्य किया. इस प्रकार संकट को राष्ट्रीय चुनौती मानकर
सभी संगठनों ने समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य किया. यह आनंद की बात है कि
इस अवसर पर पूरे देश में समाज ने जैसी एकजुटता दिखाई है, वह विश्वभर में
अभूतपूर्व है और एक उदाहरण है.
वर्तमान काल में देश तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े, कोरोना काल के
संकट को पार करके देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़े, इस हेतु से हमारे
कार्यकर्ता कौशल्य विकास के कार्य में जुटेंगे. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण
का विषय भी बहुत महत्त्वपूर्ण दौर में आ गया है. एक भव्य मंदिर शीघ्रता से बने
इसको लेकर देश और दुनिया में वातावरण बना है. देशभर में श्रीराम मंदिर निर्माण
हेतु व्यापक संपर्क का कार्य होगा और सभी कार्यकर्ता बंधु 5 लाख से अधिक
गांवों में 10 करोड़ से अधिक घरों में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए संपर्क
करेंगे, तथा ऐसी अपेक्षा
है कि वह प्रत्येक परिवार से कुछ न कुछ सहयोग प्राप्त करें.
सह सरकार्यवाह ने कहा कि जो नई शिक्षा नीति आई है, उसका भी सभी ने
स्वागत किया. उसकी बहुत सी अच्छी बातों का क्रियान्वयन ठीक प्रकार से हो इस
दृष्टी से भी कार्यकर्ता बंधु स्थान -स्थान पर प्रयत्न करेंगे, ऐसी चर्चा यहाँ
हुई.
इसके अलावा विभिन्न विषयों पर जैसे जल संरक्षण, वृक्ष लगाना और
प्लास्टिक से मुक्ति मिले, इस दृष्टी से पर्यावरण गतिविधि का कार्य और गति से बढ़ाने का
विचार हुआ. कुटुंब प्रबोधन के अंतर्गत संस्कारित परिवारों के निर्माण में तथा समरस
समाज के लिए सभी कार्यकर्ता प्राथमिकता से कार्य करेंगे, भेदभाव को दूर
करने के लिए तेजी से कार्य हो, भेदरहित समरस समाज बने, ऐसा चिंतन किया
गया. एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. कृष्णगोपाल जी ने विश्वास व्यक्त किया कि वर्तमान
किसान आंदोलन का हल परस्पर बातचीत से शीघ्र ही होगा.
श्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत
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