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Thursday, November 5, 2020

डॉ. निशिगंधा ने अपने जेवर बेचकर भारतीय सेना को भेजी 20 लाख रुपये की सहायता राशि

 

भारतीय सेना और उनके परिवारजनों द्वारा देश के लिए किया गया त्याग अत्यंत अनमोल है. अपने देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले हाथों को यथाशक्ति संबल प्रदान करना तथा उनके प्रति मन में श्रद्धाभाव का जागरण हर एक भारतीय का कर्तव्य है. अपने इसी कर्तव्यभाव को मन में रखकर नासिक की डॉ. निशिगंधा मोगल ने भारतीय सेना को २० लाख रुपयों की सहायता राशि भेजी. उन्होंने अपना स्त्री धनअर्थात् सोने के जेवर सैन्य दल को देने का निर्णय लिया था. परन्तु सैन्य दल जेवर के रूप में किसी भी सहायता को स्वीकार नहीं करता. इसलिए, उन्होंने अपने जेवरों को बेचकर प्राप्त राशि सेना को भेजी है. रक्षा विभाग ने उन्हें सहायता राशि के एवज में प्राप्ति रसीद भी भेजी है और आभार भी व्यक्त किया है. निशिगंधा जी भाजपा की एमएलए रह चुकी हैं और उनके पति राजाभाऊ मोगल नासिक में संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं.

भारत सरकार रक्षा मंत्रालय एवं सैनिकी बोर्ड लेखा विभाग सह संचालक लेफ्टिनेंट कर्नल सौमित्र मिश्र ने डॉ. निशिगंधा मोगल को पत्र भेजकर आभार व्यक्त किया है. स्वयंप्रेरणा से भारतीय जवान एवं उनके परिवार जनों के प्रति दिखाए भाव की उन्होंने सराहना की. सेना के प्रति डॉ. निशिगंधा का सेना के प्रति सम्मान व सहायता सराहनीय है और अनुकरणीय भी है. एक स्त्री के लिए अपने स्त्रीधन का मोल क्या होता है, यह वह खुद ही समझ सकती है. ऐसे में अपना स्त्रीधन बेचकर सेना को सहायता करना उनके मन की ऊंचाई को दर्शाता है.

अपने इस कार्य के बारे में डॉ. निशिगंधा मोगल ने एक पत्र द्वारा कहा कारगिल युद्ध हुआ, तब से ही मैंने यह निश्चय किया था. पांच वर्ष पहले मै कारगिल गई थी. वहां का वातावरण देखकर मैं हैरान हो गयी. ऐसे भयावह वातावरण में, प्रतिकूल परिस्थिति से लड़कर सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी है. हमारा भी कोई कर्तव्य बनता है. मैंने सेना को ५५ तोला सोने की कीमत अर्थात् २० लाख रुपये देने का निश्चय किया और वह पूरा भी किया. सेना द्वारा भेजा प्रत्युत्तर पढ़कर मेरे मन को संतोष मिला. भारतीय सेना और उनके परिवार जन देश के लिए जो बलिदान देते है, त्याग करते हैं, उसके सामने यह मदद कुछ भी नहीं है, ऐसा मेरा मानना है.

श्रोत- विश्व संवाद केंद्र, भारत

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