सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारियों, भारतीय
सेना, वायु सेना, नौसेना
के सेवानिवृत्त अधिकारियों और पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के एक समूह ने हाल ही
में गठित गुपकार समूह (Gupkar Alliance), विशेष
रूप से जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की आलोचना की है. इस
संबंध में पूर्व अधिकारियों ने एक वक्तव्य जारी किया है. इस वक्तव्य पर 250 से अधिक अधिकारियों ने हस्ताक्षर किए हैं.
वक्तव्य
में कहा गया है कि – ‘हमारा
सेवानिवृत्त अखिल भारतीय सिविल सेवा और पुलिस अधिकारियों, सेना, वायु
सेना और नौसेना के दिग्गजों, शिक्षाविदों, पेशेवरों का, भारत के
चिंतित नागरिकों का एक समूह है; जो बिना
किसी राजनीतिक या पक्षपातपूर्ण एजेंडे के साथ है. कुछ लोग निहित स्वार्थों के चलते
लगातार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग करने, हमारे
देश और उसके संविधान के बारे में गलत बात कहने और अलगाववाद को बढ़ावा देने का प्रयास
कर रहा है, और ऐसा करते समय, वे उन देशों की भाषा बोलते हैं जो भारत से शत्रुता रखते हैं; और वह उनसे सहयोग लेने में संकोच नहीं करेंगे.’ हम ऐसे समस्त लोगों के खिलाफ हैं.
वक्तव्य
में आगे कहा कि – ‘जम्मू-कश्मीर
की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राष्ट्रीय और कानूनी स्वामित्व की सभी
सीमाओं को पार कर लिया है और निश्चित रूप से अवमानना की घोषणा करके खुद को
अभियोजन के लिए उत्तरदायी बनाया है. ‘ 23 अक्तूबर
को मुफ्ती के बयान का जिक्र करते हुए कहा गया कि जब तक पिछले साल 5 अगस्त को लागू किए गए संवैधानिक बदलाव वापस नहीं किए गए वह
चुनाव लड़ने या तिरंगा, राष्ट्रीय
ध्वज धारण करने में दिलचस्पी नहीं दिखाएंगी.
सेवानिवृत्त
अधिकारियों के समूह ने इसे “राष्ट्रीय
ध्वज के सम्मान और प्रतिष्ठा का प्रत्यक्ष अपमान” बताया
है. वक्तव्य में कहा कि “अपने
उत्तेजक बयानों के जरिए, उन्होंने
कश्मीर के लोगों को सार्वजनिक आदेश से असहमति के कारण गड़बड़ी पैदा करने के लिए
उकसाया है.”
देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग
पूर्व
अधिकारियों के समूह ने गठबंधन के एक अन्य सदस्य पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला
की भी आलोचना की. बयान में अब्दुल्ला के बयान का हवाला देते हुए कहा गया कि उन्हें
(अब्दुल्ला) और मुफ्ती को जम्मू और कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम, 1978 के तहत हिरासत में लिए जाने की आवश्यकता है. इसके अलावा, समूह ने आईपीसी की धारा 124 ए के तहत
देशद्रोह का मामला दर्ज करने की भी मांग की.
“गुपकार गैंग भारतीय लोकतंत्र पर एक धब्बा है. यह आश्चर्यजनक
नहीं है कि पाकिस्तान के राजनीतिक नेताओं ने बयान जारी कर उनका समर्थन किया है.
इससे वह उनके वास्तविक गैर राष्ट्र प्रेमी रंगों में दिखाई पड़ते हैं.”
जम्मू और
कश्मीर में कई मुख्यधारा की पार्टियों, जिनमें
अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और
मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने अनुच्छेद 370 की बहाली और 15 अक्तूबर
को कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए गठबंधन की घोषणा की है. अब्दुल्ला ने कहा था, “हमने गुपकार घोषणा के लिए इस गठबंधन का नाम पीपुल्स अलायंस
रखा है. हमारी लड़ाई एक संवैधानिक लड़ाई है. हम चाहते हैं कि भारत की सरकार 5 अगस्त 2019 से पहले
राज्य के लोगों के अधिकारों को वापस करे.”
श्रोत- विश्व संवाद केंद्र, भारत
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