हर युग में हिन्दुत्व भारत की आत्मा रहा है. धर्म, संस्कृति, परम्परा, सभ्यता के प्रवाह को अक्षुण्ण
रखकर, सामान्य समाज के आचरण को
काल-सुसंगत विकसित करने में इस भारतवर्ष में ऋषियों, मुनियों, संत, महंतों का योगदान रहा है. श्रद्धेय रामराव महाराज का नाम उसी कड़ी में
बहुत ही गर्व के साथ लिया जाता है.
जगतजननी माँ जगदम्बा का आशीर्वाद बापू महाराजश्री को प्राप्त था.
आजन्म ब्रह्मचर्य व्रत का कठोरता से पालन करते हुए महाराज जी ने अपने अनुयायियों
को समाज की भक्ति एवं राक्षसी वृत्ति का निर्दलन करने के लिये शक्ति की आराधना
करने की दीक्षा दी.
संत श्री सेवालाल महाराज के कृपाप्रसाद के धनी श्री रामराव महाराज जी
ने गौसेवा को सदैव पुरस्कृत किया. प्राणिमात्र पर दया करना इस भाव को अधिक पुष्ट
करने के लिये उन्होंने अनेक कुप्रथाओं को समाप्त किया. उनके जीवन में सदैव शुद्धता
एवं सादगी रही. प्रेम एवं आत्मीयता से सभी के साथ बात करना, यह उनका सहज स्वभाव था.
हिन्दुत्व यह उनका जीवनाचरण होने के कारण वर्ष 2006 में सम्पन्न हिन्दू सम्मेलन में उनका संदेश प्रसाद के रूप में
प्राप्त होना सभी के लिये गौरव का विषय रहा. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिक्षा
वर्ग में स्वयंसेवकों को उनका सान्निध्य एवं आशीर्वाद सभी के लिए प्रेरणा का क्षण
था.
कोजागरी पूर्णिमा को संत श्री रामराव महाराज जी का स्वर्गारोहण हुआ, यह दुःखद वार्ता प्राप्त हुई.
परमेश्वर उनकी आत्मा को शांति दे. उनके परिवार एवं श्रीमहाराज जी के अनुयायी तथा
सब समाज को इस दुःखद घटना से संभलने की शक्ति दे, यही माँ जगदम्बा से प्रार्थना.
मैं उनकी पवित्र स्मृति में मेरी अपनी व्यक्तिगत तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की
ओर से हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पण करता हूँ.
डॉ. मोहन भागवत
सरसंघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
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