भारतीय
इतिहास संकलन समिति द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले
क्रांतिकारियों के इतिहास को संजोया जाएगा. जिन्हें वर्तमान में भुला दिया गया है, अथवा जिनके बारे में हमें बताया ही नहीं जाता. भारतीय इतिहास
संकलन समिति की केंद्रीय इकाई जिला स्तर पर समितियों का गठन करके उन
क्रांतिकारियों की पहचान प्रतिष्ठित करेगी, जो भुला
दिए गए हैं.
सांगठनिक
सिलसिले में अयोध्या आए भारतीय इतिहास संकलन समिति के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री
संजय जी ने योजना के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद इतिहास लेखन
की एक धारा ने तथ्यों को अपने ढंग से परिभाषित किया. उन्होंने यह साबित करने की
चेष्टा की कि आजादी क्रांतिकारियों की वजह से नहीं, बल्कि एक
दल विशेष के आंदोलन से संभव हुई.
इतिहास
संकलन समिति स्वतंत्रता आंदोलन में किसी की भूमिका का अवमूल्यन नहीं करना चाहती, पर सच्चाई यह है कि देश की स्वतंत्रता में क्रांतिकारियों के
महान बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता. यह तो सरासर अन्याय है कि जो अपने सुख-साधन
के लिए सार्वजनिक जीवन में थे और सुविधा के हिसाब से समझौता करते थे, उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन का नायक बना दिया गया और जो प्राणों
की बाजी लगा रहे थे, उन्हें
भुला दिया गया.
उन्होंने
कहा कि भारतीय इतिहास संकलन समिति इस साजिश का प्रतिकार करेगी. हमारी कोशिश होगी
कि हम उनकी यादों को जीवंत करें.
इतिहास
की विषय वस्तु देशों या राजाओं का अध्ययन ही नहीं, अपने
इर्द-गिर्द के समाज और जीवन के अतीत का भी अध्ययन है. इसी उद्देश्य को ध्यान में
रखकर भारतीय इतिहास संकलन समिति प्रत्येक जिले में किसी स्थानीय ऐतिहासिक घटना को
ध्यान में रखकर इतिहास दिवस आयोजित करेगी.
दंत
कथाओं का निहितार्थ तलाशने का प्रयास
इतिहास
संकलन समिति वनवासियों की संस्कृति के अध्ययन पर भी जोर दे रही है. उनके संगीत एवं
कला के साथ उनकी दंत कथाओं के निहितार्थ तलाशने का प्रयास किया जा रहा है.
वनवासियों की जीवनशैली के मूल में समुचित सांस्कृतिक चेतना के तत्व विद्यमान हैं.
यह शोध का विषय है कि वे समय के साथ किस तरह हाशिए पर सरकते गए.
श्रोत- विश्व संवाद केंद्र, भारत
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