श्री राम
जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने जन्मभूमि परिसर के 70 एकड़ के
मास्टरप्लान को लेकर देशवासियों से सुझाव मांगा है. तीर्थ क्षेत्र की ओर से
आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर पोस्ट कर सुझाव मांगे गए हैं. श्री राम मंदिर निर्माण के
लिए सभी विद्वतजनों और वास्तुविदों से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं. राम मंदिर
निर्माण समिति ने बैठक के आखिरी दिन ये फैसला लिया था कि परिसर में निर्माण कार्य
के लिए वो देशवासियों से सुझाव मांगेगी. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र म्यूजियम, गुरुकुल (Gurukul) और
गौशाला पर विशेष फोकस करेगा.
श्री राम
जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने परिसर के मास्टरप्लान में हर रोज एक लाख और सप्ताह
में पांच लाख भक्तों के आने की संभावना के बीच परिसर में सुविधाओं के लिहाज से
सुझाव मांगे हैं.
25 नवंबर तक आमंत्रित हैं सुझाव
रामजन्मभूमि
तीर्थ क्षेत्र की ओर से कहा गया है कि जो भी मंदिर परिसर के निर्माण संबंधी सुझाव
दे रहे हैं, वे 25 नवंबर 2020 तक इसे भेज दें. इसके लिए तीन ईमेल एड्रेस भी बताए गए हैं, जिन पर सुझाव भेजने हैं. सभी बन्धुओं, वास्तुविदों, विषय के
विद्वानों से हमारा निवेदन है कि 25 नवम्बर 2020 तक अपने सुझाव और विचार निम्नलिखित ईमेल पर अवश्य भेज दें.
यह सुझाव
परिसर के विभिन्न आयामों जैसे धार्मिक यात्रा, संस्कृति, विज्ञान आदि को समाहित करते हुए होने चाहिए. इससे सम्बंधित
सभी जानकारी ट्रस्ट की वेबसाइट http://srjbtkshetra.org पर
उपलब्ध है. सुझावों को स्वीकार अथवा अस्वीकार करने का ट्रस्ट के निर्णय अंतिम
होगा.
प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त
को अयोध्या में राम मंदिर का विधिवत भूमि पूजन किया था. उन्होंने कहा था कि
विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या वाले इंडोनेशिया सहित दुनिया में कई ऐसे देश
हैं जो भगवान राम के नाम का वंदन करते हैं. राम मंदिर को भारतीय संस्कृति की ‘‘समृद्ध विरासत’’ का
द्योतक बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि यह अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरणा
देगा. रामायण इंडोनेशिया, कंबोडिया, लाओस (Laos), मलेशिया, थाईलैंड, श्रीलंका
और नेपाल में प्रसिद्ध और पूजनीय है.
श्रोत- विश्व संवाद केंद्र, भारत
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