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Friday, November 13, 2020

हमारी विचारधारा राष्ट्रहित के विषयों के साथ दिखनी चाहिए, राष्ट्र के खिलाफ नहीं

 जेएनयू में प्रधानमंत्री ने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा कि आज हर कोई अपनी विचारधारा पर गर्व करता हैयह स्वाभाविक भी है. लेकिन हमारी विचारधारा राष्ट्रहित के विषयों में राष्ट्र के साथ नजर आनी चाहिएराष्ट्र के खिलाफ नहीं. कार्यक्रम के दौरान जय श्री राम, भारत माता की जय के नारे लगे.

स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा के अनावरण अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि नई National Education Policy की Core Values हैं – Confidence, Conviction और Character से भरे युवा भारत का निर्माण करना. यही स्वामी जी का भी विज़न था. वे चाहते थे कि भारत में शिक्षा ऐसी हो, जो आत्मविश्वास दे और हर प्रकार से आत्मनिर्भर बनाए.

हमारे युवा भारत के Culture और Traditions का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसलिए उनसे अपेक्षा हजारों वर्षों से चली आ रही भारत की पहचान पर सिर्फ गर्व करने की नहीं है, बल्कि 21वीं सदी में देश की नई पहचान गढ़ने की भी है.

स्वामी विवेकानंद जी कहते थे – “मूर्ति में आस्था का रहस्य यह है कि आप उस एक चीज से ‘Vision of Divinity’ डेवलप करते हैं.

मेरी कामना है कि JNU में लगी स्वामी जी की प्रतिमा सभी को प्रेरित करे और ऊर्जा से भरे. यह प्रतिमा वो साहस दे, जिसे स्वामी जी हर व्यक्ति में देखना चाहते थे.

आज सिस्टम में जितने रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं, उनके पीछे भारत को हर प्रकार से बेहतर बनाने का संकल्प है. आज हो रहे रिफॉर्म्स के साथ नीयत और निष्ठा पवित्र है. आज रिफॉर्म्स से पहले एक सुरक्षा कवच तैयार किया जा रहा है. इस कवच का सबसे बड़ा आधार है विश्वास.

राष्ट्रहित से अधिक प्राथमिकता अपनी विचारधारा को देना, मेरी विचारधारा यह कहती है, इसलिए देशहित के मामले में भी इसी सांचे से में सोचूंगा, इसी दायरे में काम करुंगा. इस एक सोच ने, बात ने हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है. हमारे देश के इतिहास को देखें, जब-जब देश के सामने कोई कठिन समस्या आई है, हर विचारधारा के लोग एक साथ आए हैं. सभी ने एक साथ मिलकर देश के लिए संघर्ष किया.

श्रोत- विश्व संवाद केंद्र, भारत

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