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Wednesday, February 19, 2020

मुंबई हमला : ‘हिन्दू आतंकवाद’ के नाम से हिन्दूओं को बदनाम करने की लिखी जा चुकी थी पटकथा - पूर्व आयुक्त, मुंबई पुलिस


    • अजमल कसाब के जिंदा पकड़े जाने से फेल हो गए पाक के मंसूबे,
    • लश्कर ने कसाब के हाथ में कलावा बांधकर भेजा था, समीर चैधरी के नाम से बना था उसका पहचान पत्र

    भारत का विभाजन कर एक अलग देश बना पाकिस्तान, जो हर कदम पर भारत के साथ ही हिन्दुओं को भी बदनाम करने का षडयंत्र रचता आया है। ऐसे ही एक षडयंत्र का खुलासा मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त और आतंकी हमले की जांच करने वाले राकेश मारिया ने अपनी पुस्तक में की है। सोमवार को मारिया की पुस्तक ‘लेट मी से इट नाउ’ का विमोचन हुआ। उन्होंने कहा है कि लश्कर ने कसाब के हाथ में कलावा बांधकर भेजा था। पाकिस्तान और उसके इशारे पर काम करने वाले आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने मुंबई हमले को ‘हिन्दू आतंक’ का रंग देने की पूरी साजिश रची थी। लेकिन आतंकवादी अजमल कसाब के जिंदा पकड़े जाने के बाद उसकी ये साजिश नाकाम हो गई थी। उसके पास बेंगलुरु निवासी समीर चौधरी के नाम से पहचान पत्र भी था।

    ये था षडयंत्र
    कसाब के पकड़े जाने पर लश्कर ने उसकी हत्या करने के लिए डी कंपनी को सुपारी दी थी। अगर पाकिस्तान और लश्कर की योजना के मुताबिक कसाब भी मार दिया गया होता तो उसकी पहचान समीर चौधरी के रूप में होती फिर हमले को ‘हिन्दू आतंक’ का रूप दे दिया गया होता। तब मीडिया में इसे ‘हिन्दू आतंक’ का कारनामा बताकर हिन्दू धर्म को बदनाम किया जाता। अखबारों में ‘हिन्दू आतंकवाद’ के नाम पर बड़ी-बड़ी हेडलाइन होती, न्यूज चैनलों पर हिन्दू आतंक के नाम से ब्रेकिंग खबरें चलती। कसाब के बेंगलुरु स्थिति घर पर उसके परिवार और पड़ोसियों से बात करने के लिए मीडिया की लाइन लग गई होती। लेकिन कसाब पाकिस्तान के फरीदकोट का अजमल आमिर कसाब निकला। मारिया ने कहा है कि लश्कर ने दूसरे आतंकियों के भी भारत में पते वाले पहचान पत्र बनाए थे। कसाब का फोटो जारी होने के सवाल पर उन्होंने कहा है कि यह केंद्रीय एजेंसियों का काम था। मुंबई पुलिस ने तो कसाब की पहचान छिपाने की पूरी कोशिश की थी, क्योंकि उसकी जान को खतरा था।

    लूटपाट के लिए लश्कर में गया कसाब बना जिहादी  
    मारिया ने अपनी पुस्तक में कहा है कि वह प्राय: प्रतिदिन कसाब से पूछताछ करते थे। उनके अनुसार कसाब लूटपाट करने के लिए लश्कर के गिरोह में शामिल हुआ था, उसका जिहाद से कुछ लेना-देना नहीं था।

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