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Wednesday, February 5, 2020

एक संस्कृति में विविधताओं का देश है भारत – डॉ. मनमोहन वैद्य जी

कोटा (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने कहा कि भारत देश की एक संस्कृति है, जो विविधता लिए हुए है. हमारी मानवता आधारित सनातन संस्कृति में प्रत्येक व्यक्ति में एक ईश्वर निहित है. तथा विभिन्न विविधताएं मानव को मुक्ति की ओर ले जाने के अलग-अलग मार्ग इंगित करती हैं. परन्तु सभी के मूल में केवल एक ही विचार है, वह है हिन्दुत्व. सह सरकार्यवाह जी कोटा प्रवास के दौरान रविवार को गीता भवन, कोटा में आयोजित व्यवसायी स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि प्रतिदिन एक घंटे की नियमित शाखा स्वयंसेवकों के सामूहिक गुणों का विकास करने का एक स्थान है. क्योंकि संघ में स्वयंसेवक सदस्य नहीं, बल्कि घटक बनकर कार्य करता है. संघ की शाखा से निर्माण हुआ स्वयंसेवक बिना रूके, बिना झुके और बिना डरे दिन के शेष 23 घंटों में अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए समाजोत्थान का कार्य करता है. एक घंटे की शाखा स्वयंसेवकों को ऊर्जा प्रदान करने का कार्य करती है, जिससे स्वयंसेवक अपने मैं को छोड़कर हम की ओर अग्रसर होता है. हमारा मूल उद्देश्य सम्पूर्ण संमाज को संगठित करना है. और शाखा उसका एक उपक्रम है.
डॉ. वैद्य जी ने स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि हमें अपने आचरण और व्यवहार से सामाजिक भेदभाव को दूर करते हुए सम्पूर्ण समाज को एकरस करना है. जिन लोगों के मन में संघ के प्रति भ्रांतियां हैं, उन्हें अपने आचरण एवं व्यवहार से दूर करना है. क्योंकि समाज को अपना मानकर देना ही हमारा धर्म है. हमें ऐसे समाज का निर्माण करना है जो शासन पर कम से कम निर्भर हो और स्वालम्बी होकर अपना योगदान भी समाजोत्थान में दे सके.
वर्तमान में 45 देशों एवं भारत में 60 हजार दैनिक शाखाओं के माध्यम से संघ की यह साधना समय-समय पर विभिन्न बाधाओं को पार करते हुए निरंतर चल रही है, जिसके फलस्वरूप समाज में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन दिखाई दे रहे. हैं.
कार्यक्रम में कोटा महानगर संघचालक ताराचन्द गोयल जी, क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य राजेन्द्र द्विवेदी जी,
प्रांत प्रचारक विजयानंद जी, सह प्रांत प्रचारक मुरलीधर जी सहित स्वयंसेवक उपस्थित थे.
                                                                                                       साभार- विश्व संवाद केंद्र, भारत

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